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उल्लाला

साहित्य में उल्लाला एक मात्रिक अर्धसम छन्द है।

उल्लाला छन्द में पहले और तीसरे में पन्द्रह-पन्द्रह तथा दूसरे और चौथे पद में तेरह-तेरह मात्राएं होती हैं।

छप्पय जैसे छन्दों के साथ उल्लाला का प्रयोग बहुतायत में मिलता है। परन्तु स्वतंत्र रूप से भी इसका उपयोग होता है।


Page last modified on Saturday August 2, 2014 16:31:42 GMT-0000