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महाराष्‍ट्र

महाराष्ट्र के पहले प्रसिद्ध शासक सातवाहन (ई.पू. 230 से 225 ई.) थे जोकि महाराष्ट्र के संस्थापक थे। उन्होंने अपने पीछे बहुत से साहित्यिक, कलात्मक तथा पुरातात्विक प्रमाण छोड़े हैं। उनके शासनकाल में मानव जीवन के हर क्षेत्र में भरपूर प्रगति हुई।

इसके बाद वाकाटक आए, जिन्होंने सर्व-भारतीय साम्राज्य की स्थापना की। उनके शासनकाल में महाराष्ट्र में शिक्षा, कला तथा धर्म सभी दिशाओं में विकास हुआ। उनके शासन के दौरान ही अजंता की गुफाओं में उच्च कोटि के भित्तिचित्र बनाए गए। वाकाटकों के बाद कुछ समय के लिए कलचुरी वंश ने शासन किया और फिर चालुक्य सत्ता में आए। इसके बाद तटवर्ती इलाकों में शिलाहारों के अलावा महाराष्ट्र पर राष्ट्रकूट तथा यादव शासकों का नियंत्रण रहा। यादवों ने मराठी को शासन की भाषा बनाया और दक्षिण के एक बड़े भाग पर अपना आधिपत्य कायम किया।

हालांकि बहमनी शासकों ने महाराष्ट्र तथा इसकी संस्कृति को कुछ हद तक समन्वित किया, पर शिवाजी के कुशल नेतृत्व में महाराष्ट्र का सर्वांगीण विकास हुआ और यह एक अलग पहचान के साथ उभरकर सामने आया। शिवाजी ने स्वराज तथा राष्ट्रीयता की एक नई भावना पैदा की। उनकी प्रचंड शक्ति ने मुगलों को भारत के इस भाग में आगे नहीं बढ़ने दिया। पेशवाओं ने दक्षिण के पठार से लेकर पंजाब पर हमला बोलकर मराठाओं का आधिपत्य स्थापित किया।

स्वतंत्रता संग्राम में महाराष्ट्र सबसे आगे था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म भी यहीं हुआ। मुंबई तथा महाराष्ट्र के अन्य शहरों के अनगिनत नेताओं ने पहले तिलक और बाद में महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में कांग्रेस के आंदोलन को आगे बढ़ाया। गांधीजी ने भी अपने आंदोलन का केंद्र महाराष्ट्र को बनाया था और गांधी युग में राष्ट्रवादी देश की राजधानी सेवाग्राम थी।

देश के राज्यों के भाषायी पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 मई, 1960 को महाराष्ट्र राज्य का प्रशासनिक प्रादुर्भाव हुआ। यह राज्य आसपास के मराठी भाषी क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया, जोकि पहले चार अलग-अलग प्रशासनों के नियंत्रण में थे। इनमें मूल ब्रिटिश मुंबई प्रांत में शामिल दमन और गोवा के बीच का जिला, हैदराबाद के निज़ाम की रियासत के पांच जिले, मध्य प्रांत (मध्य प्रदेश) के दक्षिण आठ जिले तथा आसपास की ऐसी अनेक छोटी-छोटी रियासतें शामिल थीं, जो समीपवर्ती जिलों में मिल गईं थीं। महाराष्ट्र प्रायद्वीपीय भारत के उत्तर में बसा हुआ है और भौगोलिक दृष्टि से एक समान है। यहां का मुंबई बंदरगाह अरब सागर का एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है। भौतिक दृष्टि से यह राज्य मुख्यतः पठारी है। महाराष्ट्र पठारों का पठार है। इसके उठे हुए पश्चिमी किनारे सह्याद्रि पहाड़ियों का निर्माण करते हैं और समुद्र तट के समानांतर हैं तथा इसकी ढलान पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व की ओर धीरे-धीरे बढ़ती है। राज्य के उत्तरी भाग में सतपुड़ा की पहाड़ियां हैं, जबकि अजंता तथा सतमाला पहाड़ियां राज्य के मध्य भाग से होकर जाती हैं। अरब सागर महाराष्ट्र की पश्चिमी सीमा का प्रहरी है, जबकि गुजरात और मध्य प्रदेश इसके उत्तर में हैं। राज्य की पूर्वी सीमा पर छत्तीसगढ़ है और कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश इसके दक्षिण में हैं।
कृषि

महाराष्ट्र के लगभग 65 प्रतिशत कामकाजी जनता कृषि तथा संबंधित गतिविधियों पर निर्भर है। यहां की प्रमुख फसलें हैं- धान, ज्वार, बाजरा, गेहूं, तूर, मूंग, उड़द, चना और अन्य दलहन। यह राज्य तिलहनों का प्रमुख उत्पादक है और मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन प्रमुख तिलहनी फसलें हैं। महत्वपूर्ण नकदी फसलें हैं-कपास, गन्ना, हल्दी और सब्जियां। राज्य में 13.66 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के फल, जैसे-आम, केला, संतरा, अंगूर, काजू आदि की फसलें उगाई जाती हैं।
उद्योग

महाराष्ट्र को पूरे देश का औद्योगिक क्षमता का केंद्र माना जाता है और राज्य की राजधानी मुंबई देश की वित्तीय तथा वाणिज्यिक गतिविधियों का केंद्र है। राज्य की अर्थव्यवस्था में औद्योगिक क्षेत्र का महत्वपूर्ण स्थान है। खाद्य उत्पाद, तंबाकू और इससे बनी चीजें, सूती कपड़ा, कपड़े से बना सामान, कागज और इससे बनी चीजें, मुद्रण और प्रकाशन, रबड़, प्लास्टिक, रसायन व रासायनिक उत्पाद, मशीनें, बिजली की मशीनें, यंत्र व उपकरण तथा परिवहन उपकरण और उनके कल-पूर्जे आदि का राज्य के औद्योगिक उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान है।
सिंचाई और बिजली

जून 2005 के अंत तक 32 बड़ी, 178 मंझोली और राज्य क्षेत्र की 2,274 लघु सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो चुकी थीं। इसके अलावा 21 बड़ी और 39 मंझोली सिंचाई परियोजनाओं पर काम जारी है। राज्य में कुल सिंचित क्षेत्र 36.36 लाख हेक्टेयर था।
परिवहन

सड़क:मार्च 2010 तक राज्य में सड़कों की कुल लंबाई 2.40 लाख कि.मी. थी, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 4,376 कि.मी., प्रांतीय राजमार्गों की 34,102 कि.मी., प्रमुख जिला सड़कों की 48,817 कि.मी., अन्य जिला सड़कों की लंबाई 46,817 कि.मी. और ग्रामीण सड़कों की कुल लंबाई 1,04,844 कि.मी. थी।

रेलवे: महाराष्ट्र में 5,983 कि.मी. रेल मार्ग है। इसमें लगभग 78.6 प्रतिशत बड़ी रेल लाइनें, 9.6 प्रतिशत मीटर गेज

उड्डयन: राज्य में कुल 24 हवाई अड्डे/हवाई पट्टियां हैं। इनमे से 17 महाराष्ट्र सरकार के नियंत्रण में हैं। चार हवाई अड्डे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा प्राधिकरण/भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण के नियंत्रण में हैं, जबकि बाकी तीन रक्षा मंत्रालय के अधीन हैं। राज्य सरकार के नियंत्रण वाले हवाई अड्डों पर अभी व्यावसायिक उड़ानों की सुविधा नहीं है।

बंदरगाह: मुंबई प्रमुख बंदरगाह है। राज्य में दो बड़े और 48 छोटे अधिसूचित बंदरगाह हैं।

पर्यटन स्‍थल

यहां के महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र हैं: अजंता, एलोरा, एलिफेंटा, कन्हेरी और कारला गुफाएं, महाबलेश्वर, माथेरन और पंचगनी, जवाहर, मालशेजघाट, अंबोली, चिकलधारा और पन्हाला पर्वतीय स्थल। पंढरपुर, नासिक, शिरडी, नांदेड़, औधानागनाथ, त्र्यंबकेश्वर, तुलजापुर, गणपतिपुले, भीमशंकर, हरिहरेश्वर, शेगांव, कोल्हापुर, जेजुरी तथा अंबजोगई प्रसिद्ध धार्मिक स्थान हैं।

Page last modified on Thursday April 3, 2014 07:44:37 GMT-0000