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राजस्थान का पायलट गेम

विधानसभा का विश्वास हासिल करें अशोक गहलौत
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-07-14 09:37
राजस्थान में वही हो रहा है, जिसकी आशंका थी। मध्यप्रदेश की तरह वहां भी भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस सरकार को अपदस्थ कर सत्ता प्राप्ति की कोशिश कर रही है और इस कोशिश में उसका साथ दे रहे हैं सचिन पायलट। पिछले विधानसभा चुनाव के समय पायलट प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष थे और चुनाव जीतने के बाद वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी बन गए थे। उनको और उनके समर्थकों को लगता था कि उनके कारण ही कांग्रेस की राजस्थान में जीत हुई है, हालांकि वह जीत कोई बहुत बड़ी जीत नहीं थी। कांग्रेस को बहुमत के आंकड़े के पास ही सीटें मिली थीं और बसपा व कुछ अन्य छोटे दलों और निर्दलीयों की सहायता से उसकी सरकार बन गई, पर पायलट मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलौत मुख्यमंत्री बने और सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बना दिया गया। उसके अलावा वे प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष भी बने रहे।

सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल

पूर्व न्यायाधीश भी चिंतित
के रवीन्द्रन - 2020-07-13 09:33
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे के अधीन सुप्रीम कोर्ट का समय अच्छा नहीं रहा है। समस्या के निर्णायक शुरुआती चरण में प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर अदालत के दृष्टिकोण की बहुत आलोचना की गई थी। अदालत ने जो कुछ भी सरकार द्वारा कहा गया उससे अपना संतोष दिखाने का काम किया, जबकि वास्तविकात कुछ और थी। अदालत ने अपना दिमाग लगाना उचित ही नहीं समझाा और सरकार के हां में हां मिलाती चली गई। इससे सामाजिक वैज्ञानिकों ने ही नहीं, बल्कि कानूनी हलकों में भी सुप्रीम कोर्ट के रवैये की आलोचना हुई। व्यापक असंतोष के बाद ही जिसकी विभिन्न तरीकों से अभिव्यक्ति की गई, अदालत ने अपना दृष्टिकोण बदला। लेकिन ऐसा करते समय, यह स्वतः विरोधाभास प्रतीत होता है। अदालत के दृष्टिकोण को ‘आत्म-विनाशकारी सम्मान में पीछे हटने में से एक के रूप में वर्णित किया गया था।

बुरे फंसे शिवराज

हैं तो मुख्यमंत्री पर विभागों के वितरण का भी अधिकार नहीं
एल एस हरदेनिया - 2020-07-11 10:19
भोपालः ‘भाजपा वास्तव में एक अलग किस्म की पार्टी है’। मध्य प्रदेश के राजनीतिक हलकों में आज इसकी खूब चर्चा चल रही है। बीजेपी ने इतिहास बना दिया है। मंत्रिपरिषद के गटन में उसके 102 दिन लगे। एक महीने से अधिक समय तक राज्य में मुख्यमंत्री बिना किसी मंत्रिपरिषद के ही रहे। ऐसा करके संवैधानिक प्रावधानों का मजाक उड़ाया गया, क्योंकि संविधान में यह स्पष्ट लिखा गया है कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह से राज करता है। मंत्रिपरिषद का मतलब एक से अधिक मंत्रियां का परिषद होता है। अकेले मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद नहीं कहला सकता।

भारत दलाई लामा के जरिए चीन पर दबाव क्यों नहीं बनाता?

दलाई लामा को ‘भारत रत्न’ देकर ऐसा किया जा सकता है
अनिल जैन - 2020-07-10 10:20
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर पिछले दो महीने से जारी तनाव फिलहाल तो जैसे तैसे खत्म हो गया है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं कि यह विवाद फिर से पैदा नहीं होगा। अतीत के अनुभव भी बताते हैं और भारत-चीन संबंधों पर नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकारों का भी मानना है कि चीन अपने विस्तारवादी मंसूबों को अंजाम देने की दिशा में हमेशा चार कदम आगे बढा कर दो कदम पीछे हटने की रणनीति पर काम करता रहा है। चीन ऐसा सिर्फ भारत के साथ ही नहीं करता है, बल्कि जापान और विएतनाम जैसे पडोसियों से भी अक्सर उसकी तू-तू, मैं-मैं होती रहती है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि वह आने वाले समय में उससे सटे भारत के सीमावर्ती इलाकों में फिर गलवान या डोकलाम जैसी कोई कोई न कोई खुडपेंच करेगा।

कोविड की दूसरी लहर तेल की कीमतें गिरा सकती हैं

सरकार के पैसा कमाने के जोश पर पानी फिर सकता है
के रवीन्द्रन - 2020-07-09 15:52
इसे केवल दैविक हस्तक्षेप के रूप में वर्णित किया जा सकता है कि वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में वृृद्धि का उपयोग करके पैसा बनाने की मोदी सरकार की योजना के शून्य होने की संभावना है। कोविड प्रकोप की दूसरी लहर की संभावनाएं तेल विश्लेषकों को एक वैकल्पिक मूल्य परिदृश्य पेश करने के लिए मजबूर कर रही हैं, जहां वर्ष के शेष हिस्से में कच्चे तेल की कीमत कम रहने की उम्मीद है।

सवाल क्रीमी लेयर का

ओबीसी के बीच सर्वे करवाए सरकार
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-07-08 11:04
ओबीसी के क्रीमी लेयर को लेकर सरकार एक बड़ी घोषणा करने जा रही है। क्रीमी लेयर की आर्थिक सीमा प्रति वर्ष 8 लाख रुपये सालाना आय से बढ़ाकर 12 लाख रुपये होने जा रही है। इस तरह की वृद्धि समय समय पर होती रही है। जब ओबीसी के आरक्षण को केन्द्र सरकार ने लागू किया था, तो यह सीमा एक लाख रुपये थी। यह 1993 की बात है। उसके 27 साल हो चुके हैं और इस बीच रुपये का भारी अवमूल्यन हुआ है। इसलिए 12 लाख की सालाना आय यदि सरकार कर देती है, तो उसमें कुछ भी गलत नहीं होगा। लेकिन इसके साथ साथ एक और बदलाव करने की सरकार की योजना है और उसके कारण विवाद हो सकता है। सच तो यह है कि यह विवाद शुरू भी हो गया है।

कितने महंगे होंगे पेट्रोल डीजल?

सरकारी खजाना भरने के लिए अर्थव्यवस्था को तबाह न करें
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-07-07 11:03
मोदी सरकार अप्रत्यक्ष टैक्सेसन में किए गए ऐतिहासिक बदलाव के लिए देश आर्थिक इतिहास में याद की जाएगी। जीएसटी लागू करने का श्रेय इसे ही है। टैक्स व्यवस्था में यह बदलाव बिना खून खराबे के नहीं हुआ है, उसके बावजूद हमारा अप्रत्यक्ष टैक्सेसन पूरी तरह से जीएसटी के दायरे में नहीं आ सकता है। पेट्रोलियम उत्पाद उसके दायरे से अभी भी बाहर है और उसका बाहर रहना भी एक नये किस्म के खून खराबे का गवाह बन रहा है। इन उत्पादों पर लगाया गया टैक्स केन्द्र के ही नहीं, बल्कि राज्य सरकारों के भी राजस्व का एक बड़ा स्रोत है। केन्द्र सरकार का यह कितना बड़ा स्रोत है, इसका अंदाजा आप इसीसे लगा सकते हैं कि केन्द्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में इन पर लगाए गए टैक्सों से कुल 4 सौ 30 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया था, जो कुल उत्पाद शुल्क का 78 फीसदी था। शेष 22 फीसदी ही सेंट्रल जीएसटी सहित अन्य स्रोतों से प्राप्त हुए थे।

बगावत की कीमत वसूलने में कामयाब रहे सिंधिया

लेकिन क्या वे अपने सारे लोगों को चुनाव जिता भी पाएंगे?
अनिल जैन - 2020-07-06 11:02
महज साढे तीन महीने पहले कांग्रेस छोडकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश में भाजपा को सत्ता दिलाने की कीमत की ‘एक और बडी किस्त’ वसूल कर ली। लगभग 100 दिन पुरानी राज्य की शिवराज सिंह मंत्रिपरिषद के बहुप्रतीक्षित विस्तार में सिंधिया अपने 9 और समर्थकों को मंत्री बनवाने में कामयाब रहे। उनके दो समर्थक पहले ही मंत्री बनाए जा चुके हैं। इस प्रकार अब मुख्यमंत्री सहित 34 मंत्रियों में एक तिहाई मंत्री सिंधिया समर्थक हो गए हैं। उनके साथ कांग्रेस छोडने वाले जो विधायक मंत्री नहीं बन पाए हैं, उन्हें अब निगम और मंडलों का अध्यक्ष उपाध्यक्ष बना कर समायोजित किया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का बढ़ता मनोबल

प्रियंका के लखनऊ आने से कार्यकर्ताओं में उत्साह
प्रदीप कपूर - 2020-07-04 12:10
लखनऊः प्रियंका गांधी वाड्रा के लखनऊ शिफ्ट होने के फैसले ने न केवल कांग्रेस पार्टी का मनोबल बढ़ाया है, बल्कि उन्हें यूपी में ्रिवपक्षी राजनीति के केंद्र में भी ला खड़ा किया है।

आपदा में अवसर

अध्यादेश के सहारे ही चलेगा राजकाज?
अनिल जैन - 2020-07-03 09:23
भारत दुनिया का संभवतः एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ कोरोना महामारी के दौर में देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद पूरी तरह ठप है। संसद के ठप होने की वजह से देश का राजकाज अध्यादेश के जरिए चलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा को अवसर बनाने की बात 12 मई के अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में कही थी लेकिन उनकी सरकार ने इस दिशा में पहले ही काम शुरू कर दिया था।