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बुंदेलखंड एकीकरण समिति

बुंदेलखंड अलग प्रांत की मांग लोक सभा चुनावों में मुख्य मुद्दा बनेगी

संस्थापक अध्यक्ष ने बुंदेलखंड की दुर्दशा पर राष्ट्रीय प्रेस का ध्यान आकर्षित किया
ज्ञान पाठक - 2009-02-11 09:25 UTC
नई दिल्ली: आने वाले लोग सभा चुनावों में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 17 जिलों में बुंदेलखंड अलग प्रांत की मांग ही मुख्य मुद्दा बनेगी। सम्पूर्ण बुंदेखंड में इसके लिए जोरदार अभियान चलाया जा रहा है।
अन्तर्राष्ट्रीय खनिज तेल की कीमतों में भारी गिरावट

भारत में पेट्रोलियम की कीमतें नहीं घटेंगी

तर्क-कुतर्क का जाल बुन रहे हैं प्रधान मंत्री और पेट्रोलियम मंत्री
ज्ञान पाठक - 2008-11-12 12:41 UTC
खनिज तेल की अन्तर्राष्ट्रीय कीमतें लगातार घट रही हैं लेकिन भारत सरकार देश में उसकी कीमतें निकट भविष्य में घटाने को तैयार नहीं है। यह अलग बात है कि कीमतें घटकर 35 प्रतिशत के आसपास मंडरा रही हैं।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का उपद्रव

महाराष्ट्र सरकार को नोटिस

क्या सर्वोच्च न्यायालय हिंसा रोक पायेगी ?
ज्ञान पाठक - 2008-11-10 11:18 UTC
नयी दिल्ली: महाराष्ट्र में आम लोगों, विशेषकर बिहार और उत्तर प्रदेश से गये लोगों, के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दिया है। लेकिन सवाल अब भी बरकरार है कि क्या उपद्रवियों पर तत्काल नियंत्रण संभव हो पायेगा?

प्रतिबंध के विरुद्ध

राजकिशोर - 2008-09-30 10:56 UTC
पिछले दिनों कई जिम्मेदार लोगों के मुंह से सुनने को मिला कि बजरंग दल जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। सिमी पर से प्रतिबंध हटाना उचित हुआ या नहीं अथवा उस पर फिर प्रतिबंध लगा दिया जाए या नहीं, यह बहस अभी भी ठंडी नहीं हुई है।
संदर्भ : बढ़ता हुआ आतंकवाद

अब मुस्लिम समाज के कर्तव्य

राजकिशोर - 2008-09-30 10:52 UTC
जब भी कोई आतंकवादी घटना होती है, टीवी पर, रेडियो पर, अखबारों में कुछ मुस्लिम नाम आना शुरू हो जाते हैं। पहले पत्रकारिता का एक नियम होता था कि दो समुदायों के बीच हिंसा होने से किसी भी समुदाय का नाम नहीं छापा जाता था। इसके पीछे उद्देश्य यह होता था कि सामप्रदायिक हिंसा की आग अन्य क्षेत्रों में न फैले। अब भी इस नियम का पालन होता है। कभी-कभी नहीं भी होता।
भारतीय न्यायालयों में भ्रष्टाचार

फिर न्यायाधीश ने सुनवाई छोडी

भविष्य निधि घोटाले में एक और नया मोड़
ज्ञान पाठक - 2008-08-08 07:52 UTC
नई दिल्ली: लगभग 23 करोड़ रुपये के भविष्य निधि घोटाले की सुनवाई करने के मामले में पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के जी बालाकृष्णन ने स्वयं को अलग कर लिया था, और अब दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी एन अग्रवाल ने भी वैसा ही किया। अब किसी अन्य पीठ को इसकी सुनवाई करनी पड़ेगी जिसपर घोटाले के अभियुक्त न्यायाधीशों को बचाने का आरोप न हो या न लग पाये।
सबसे भ्रष्ट और निकम्मी सरकार

मनमोहन सिंह की छवि पर बट्टा

किसके संरक्षण में हैं बेअंकुश मंत्री और अधिकारी
विष्णुगुप्त - 2008-04-30 17:20 UTC
इस समय केन्द्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेतृत्व वाली और वामपंथियों द्वारा समर्थित संप्रग सरकार अब तक की सबसे भ्रष्ट, निक्कमी, विफल और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय नीति निर्धारण में भी दिशाहीन सरकार है। मनमोहन सिंह की कैबिनेट में एक से बढ़कर एक भ्रष्ट और आपराधिक छवि वाले मंत्री हैं। उन पर न तो मनमोहन सिंह का नियंत्रण है और न ही सत्ता की असली केन्द्र सोनिया गांधी का।
भारतीय क्रिकेट की दुर्दशा पर पूरा देश हैरान

देख तमाशा क्रिकेट का

हरभजन दोषी है और भारतीय क्रिकेट बोर्ड तथा टीमों को खरीदने वाले कारपोरेट घराने भी
विष्णु गुप्त - 2008-04-28 04:38 UTC
भद्रजनों का खेल माने जने वाले क्रिकेट को नौटंकी का तमाशा बना दिया गया है। पैसा कमाना एकमेव लक्ष्य बना लिया गया है। आखिर क्यों राजनीतिज्ञ, व्यापारी और नौकरशाह क्रिकेट का भाग्यविधाता बने हुए हैं? इस प्रश्न का उत्तर भी क्रिकेट प्रेमियों को चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय ने रोकी दोषियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई

न्यायालय, न्याय और नांदीग्राम

लेकिन जारी रहेगी सीबीआई की कार्यवाही, गोली चालन ‘अनुचित’ की टिप्पणी हटाने से इनकार
ज्ञान पाठक - 2007-12-13 13:26 UTC
माननीय सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति बैठते हैं और उनके पास, हम मानकर चलते हैं कि ज्यादा विवेक है। हो सकता है कि सीबीआई को पश्चिम बंगाल पुलिस के दोषी अधिकारियों और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक मामले शुरु करने से रोकने के पीछे भी कोई राज हो और वह राज भी मानवता के उच्च मानदंड के अनुकूल हो। लेकिन ऐसा निर्णय अद्भुत है और कई कारणों से अद्भुत।
संप्रग सरकार के कपटी आश्वासनों पर भरोसा नहीं

संसद में छल बल और बेवसी

भारतीय विपक्ष भी आशंकित और सत्तापक्ष के सहयोगी गठबंधन साथी भी
ज्ञान पाठक - 2007-12-06 11:50 UTC
कल राज्य सभा में भारत के विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि भारत अमेरिकी नाभिकीय समझौते के लागू होने के बाद सरकार सदन की भावना का ख्याल रखेगी। आखिर ऐसा करने का राज क्या है और उनकी बातों पर क्या सोचा जाना चाहिए?