वल्लभाचार्य के शुद्धाद्वैत मत के अनुसार अक्षर ब्रह्म के दो स्वरुपों में से एक पूर्ण पुरुषोत्तम का अक्षर धाम है। इसी पूर्ण पुरुषोत्तम का अक्षर धाम को गोलोक भी कहते हैं। वहां भगवान श्री कृष्ण अनवतार दशा में निवास करते हैं।