Loading...
 
Skip to main content

View Articles

लोकसभा में अभी सीटों की संख्या सीमित रखने का समय

भारी आबादी वाले भारत को सीमित की जरूरत, परिसीमन की नहीं
नन्तू बनर्जी - 10:40
अगर दुनिया के दूसरे सबसे बड़े संघीय लोकतंत्र संयुक्त राज्य अमेरिका में, प्रतिनिधि सभा में सीटों की संख्या 1913 से 435 तक सीमित रह सकती है, तो भारत के प्रत्येक राज्य में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए सीटों की संख्या और प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को जनसंख्या वृद्धि के अनुसार नये सिरे से तय करने के लिए नवीनतम परिसीमन अभ्यास को उचित ठहराने का कोई कारण नहीं है। देश अब कई वर्षों के अंतराल के बाद जनगणना अभ्यास से गुजर रहा है। वास्तव में, भारत को इस बात पर अधिक चिंतित होना चाहिए कि अपनी जनसंख्या वृद्धि को कैसे नियंत्रित किया जाये और अपने विधानमंडलों को वास्तव में मतदाताओं के लिए योगदान देने वाला कैसे बनाया जाये।

सीवरों में हो रही मौतों पर जिम्मेदारों को मिले कड़ी सजा

4 सालों में मध्यप्रदेश के सीवरों में 16 लोगों की हुई मौत
राजु कुमार - 2025-04-01 11:31
भारत में सीवरों और सेप्टिक टैंकों की मैनुअल सफाई कानूनन प्रतिबंधित है, इसके बावजूद सफाई कर्मचारी अपनी जान गंवा रहे हैं। मध्यप्रदेश में पिछले चार सालों में 16 सफाई कर्मचारियों की मौत हुई है, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है। यह सिर्फ एक राज्य की बात नहीं है, बल्कि पूरे देश में सफाई कर्मचारियों की जिंदगी खतरे में है। राष्ट्रीय स्तर पर सफाई कर्मचारियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन सफाई कर्मचारी आंदोलन (एसकेए) ने इन मौतों को लेकर सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। संगठन का कहना है कि जब तक दोषियों को कड़ी सजा नहीं मिलेगी और सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाएगी, तब तक यह अमानवीय प्रथा जारी रहेगी।

शताब्दी वर्ष पर विस्तारित आरएसएस का भीतरी दुविधाओं से सामना

तीन दिवसीय बैठक का लक्ष्य था भाजपा के लिए चुनावी जीत हासिल करना
अरुण श्रीवास्तव - 2025-04-01 10:43
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था, अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) की तीन दिवसीय बैठक में हुए विचार-विमर्श और सम्बोधन, संगठन को प्रभावित करने वाले सामाजिक और सांस्कृतिक संदेह की एक अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

क्या तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक एक बार फिर भाजपा के साथ गठबंधन करेगी?

पलानीस्वामी भले तैयार हों, लेकिन बड़ी समस्या है उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को
सुशील कुट्टी - 2025-03-29 10:46
'अटकलबाजी' शब्द का प्रयोग आम बात है। अगर आपको नहीं पता कि क्या हो रहा है, तो 'अटकलबाजी' काम आता है। पत्रकारों के लिए 'अटकलबाजी' पर वापस आना स्वाभाविक है, ताकि कोई मुद्दा न उठाया जाये। अभी अटकलें लगायी जा रही हैं कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को भाजपा और अन्नाद्रमुक के बीच क्या बातचीत चल रही है, इसकी कोई जानकारी नहीं है। फिर भी भाजपा-अन्नाद्रमुक हलकों में क्या पक रहा है, इस बारे में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की दिलचस्पी ने तमिलनाडु के राजनीतिक हलकों को जकड़ लिया है। भाजपा और अन्नाद्रमुक नेताओं के बीच हुई बैठकों ने इस मामले को और भी उलझा दिया है। सबसे हालिया मुलाकात अन्नाद्रमुक महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच देश की राजधानी दिल्ली में हुई।

नरेंद्र मोदी के बड़े पैमाने पर प्रचारित मेक इन इंडिया की पोल खुली

केंद्र सरकार की 23 अरब डॉलर की पीएलआई योजना धरी रह गयी
नित्य चक्रवर्ती - 2025-03-28 10:44
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुमलों के सुपर सेल्समैन के रूप में जाने जाते हैं। जनधन खाते से लेकर हर साल युवाओं के लिए दो करोड़ नौकरियां पैदा करने तक, 2014 से भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के सभी प्रचार-प्रसार एक बड़ी विफलता साबित हुए हैं। पिछले कुछ सालों में भी भाजपा की चुनावी मशीनरी या आधिकारिक एजंसियों ने प्रधानमंत्री के इन दो वायदों का कभी जिक्र नहीं किया। लेकिन उनका सबसे चर्चित और महत्वाकांक्षी कार्यक्रम मेक इन इंडिया था, जिसकी घोषणा केंद्र में उनके कार्यभार संभालने के तुरंत बाद की गयी थी। 23 अरब अमेरिकी डॉलर की उत्पादकता से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, जो 2021 में एमआईआई कार्यक्रम का प्रमुख कार्यक्रम है, के बारे में मोदी ने घोषणा की थी कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप 2025 में देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत तक होने के साथ भारत दुनिया का उत्पादन केंद्र बन जायेगा। अब 2025 आ गया है, लेकिन सरकार ने बिना किसी आधिकारिक घोषणा के चुपके से मेक इन इंडिया के लिए बनायी गयी 23 अरब डॉलर की पीएलआई योजना को समाप्त कर दिया है।

ओईसीडी ऋण रिपोर्ट 2025 में दिखा अमीर देशों के बढ़ता जोखिम

भारत अपने विवेकपूर्ण प्रबंधन के कारण एक आरामदायक स्थिति में
अंजन रॉय - 2025-03-27 10:39
विश्व आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) की ऋण रिपोर्ट 2025 विकास और आय पर विभिन्न देशों की समग्र ऋणग्रस्तता की एक गंभीर तस्वीर पेश करती है। यह कई सच्चाइयों को उजागर करता है, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जो राजकोषीय विवेक और ऋण उत्तरजीविता के पारंपरिक उच्च पुजारी थे।

उल्लेखनीय रहा मध्यप्रदेश विधान सभा का बजट सत्र

दो दशक बाद एजंडे के अनुरूप चली मध्यप्रदेश विधान सभा
एल.एस. हरदेनिया - 2025-03-26 11:05
इस बार मध्यप्रदेश विधान सभा का बजट सत्र उल्लेखनीय रहा। लगभग 15-20 वर्षों के अन्तराल के बाद पहली बार विधानसभा ने अपना निर्धारित एजन्डा पूरा किया। पहली बार राज्यपाल को उनके भाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर पूरी बहस हुई। इसी तरह बजट पर भी पूरी बहस हुई। इसका श्रेय स्पीकर को दिया जा रहा है। स्पीकर ने इसके लिए पक्ष और विपक्ष का आभार माना।

ट्रम्प की 2 अप्रैल की डेडलाइन के करीब आने से भारतीय दवा उद्योग तनाव में

टैरिफ वृद्धि के कारण अमेरिकी दवा बाजार में भी मची है उथल-पुथल
टी एन अशोक - 2025-03-26 10:37
न्यूयॉर्क: क्या भारत भी चीन की तर्ज पर भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी शुल्क के विरुद्ध जवाबी टैरिफ लगा सकता है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने दोस्ताना संबंधों के बावजूद सार्वजनिक रूप से घोषणा की है कि अमेरिकी उत्पादों पर भारतीय टैरिफ सबसे अधिक हैं, इसलिए क्यों नहीं भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाये जायें।

श्रम संहिताओं के खिलाफ दो महीने का अभियान शुरू, 20 मई को हड़ताल

केंद्र कर रहा वित्त वर्ष 2025-26 शुरु होते ही इनके क्रियान्वयन की संभावना का आकलन
डॉ. ज्ञान पाठक - 2025-03-25 11:07
10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र क्षेत्रीय संघों और संगठनों के संयुक्त मंच द्वारा आयोजित राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन में विवादास्पद चार श्रम संहिताओं के खिलाफ घोषणा को अपनाने के बाद श्रमिकों इसके विरोध में अभियान फिर से शुरु हो गया है जो दो महीनों तक चलेगा तथा जिसके समापन के दिन 20 मई को श्रमिकों की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल होगी।

आग जो कभी लगी नहीं और छिपा हुआ धन जो कभी मिला नहीं

दिल्ली के जज के घर पर मिला नकदी का जखीरा एक और गंभीर चेतावनी
के रवींद्रन - 2025-03-24 11:02
यह कहना गलत नहीं होगा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से नकदी का एक बड़ा जखीरा मिलने से सभी सदमे में हैं। इस अप्रत्याशित घटना ने न्यायपालिका के भीतर भ्रष्टाचार और ईमानदारी के बारे में असहज सवाल खड़े कर दिये हैं, जिसे अक्सर न्याय और नैतिक सदाचार का संरक्षक माना जाता है। जबकि यह घटना अपने आप में निंदनीय है, लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि यह प्रणालीगत सड़ांध की ओर इशारा करती है - एक ऐसी गहरी और खतरनाक वास्तविकता जिसे बहुत लंबे समय से अनदेखा किया गया है या अनदेखा किया जा रहा है। पैसे के छिपे हुए भंडार जो शायद कभी नहीं मिल पाएँगे, और वे अपारदर्शी गलियारे जहाँ न्याय का वितरण माना जाता है, बहुत गहरी अस्वस्थता की ओर इशारा करते हैं। यह घटना सिर्फ़ एक जज या अवैध रूप से अर्जित धन के एक भंडार के बारे में नहीं है, बल्कि यह भारत की न्यायिक प्रणाली की मूल संरचना में मौजूद परेशान करने वाली दरारों को दर्शाती है।