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अत्युक्ति


अत्युक्ति साहित्य में एक अलंकार को कहा जाता है। यह अर्थालंकार का एक भेद है जिसमें बात को बढ़ाचढ़ाकर कहा जाता है ताकि किसी गुण-दोष विशेष को अधिक प्रभावपूर्ण ढंग से कहा जा सके।

एक प्रकार से इसे मिथ्या वर्णन भी कहा जा सकता है परन्तु साहित्य में इसे एक अलंकार के रुप में ही समझना और उसका लाभ लेना चाहिए, क्योंकि यह आवश्यक नहीं कि इस अलंकार का प्रयोग हानि पहुंचाने के लिए ही किया गया हो। अनेक बार अत्यधिक सुन्दरता, साहस आदि को दर्शाने के लिए भी इसका सुन्दर प्रयोग किया जाता है।

एक उदाहरण इस अत्युक्ति में देखिये - सुन्दरी के अंगों की शोभा का भार ही इतना अधिक है कि वह सीधी चर नहीं सकती, फिर भला आभूषणों का भार वह कैसे संभालेगी?


Page last modified on Thursday November 21, 2013 11:13:08 GMT-0000