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अध्यात्म में गाय

अध्यात्म में गाय शब्द आत्मा, वाणी, माया और इन्द्रियों के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।

गोरखबानी में एक गाय और उसके नौ बछड़े का जिक्र किया गया है। यहां गाय आत्मा है।

कबीर के बीजकों में गाय शब्द का उपयोग वाणी तथा माया के के अर्थ में किया गया है।

दादू ने तो आत्मा को ही कामधेनु कहा है।

योगियों में इसे ज्ञानेन्द्रियों के रूप में मानने की परम्परा है क्योंकि इन्हीं के माध्यम से व्यक्ति संसार में जो कुछ गोचर है उनका ज्ञान प्राप्त करता है। इसी गोचर से अगोचर ब्रह्म की ओर यात्रा करने की बात कही जाती है। हठ योग की एक मुद्रा में 'गोमांस भक्षण' की बात कही जाती है जिसका अर्थ होता है जिह्वा को तालु की ओर मोड़कर अमर वारुणी को चखना।


Page last modified on Sunday February 22, 2015 06:54:52 GMT-0000