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अन्तर्भावना मानव चित्त की एक विशेष प्रकृत्ति है, जो बाह्य वस्तुओं या आन्तरिक कारणों से उत्पन्न होती है। बाहर जो कुछ भी देखा समझा उसका असर चित्त पर पड़ता है और मन में एक भावना उत्पन्न हो जाती है।
व्यक्ति गुण-दोष, विस्तार, वैभव, गति, सुख-दुख आदि संसार की चीजों से अपनी समझ बनाता है तथा 'स्व' में भी उनका भाव उत्पन्न होता है।
उदाहरण के लिए संगीत सुनकर उसकी स्व में अनुभूति होती है और इस अनुभूति से अन्तर्भावना जागृत होती है।

Page last modified on Thursday December 13, 2012 03:33:03 GMT-0000