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अभिधा शक्ति

किसी भी शब्द के अर्थबोध में गुण, जाति, द्रव्य, तथा क्रियावाचक अर्थ, जिसे मुख्य अर्थ कहा जाता है, तथा जो साक्षात् सांकेतित अर्थ है, का बोध कराने वाले व्यापार को अभिधा व्यापार या अभिधा शक्ति कहा जाता है।

अभिधा शक्ति तीन प्रकार का अर्थबोध कराती है।

पहला रूढ़ शब्दों का जैसे कुत्ता या महल आदि। एक प्रकार से यह समुदायवाचक है जो पूरे समुदाय का बोध करा देती है। इनकी व्युत्पत्ति नहीं होती तथा ये सम्पूर्ण अर्थ का बोध कराती हैं।
दूसरा यौगिक शब्दों का उनके अवयवों के माध्यम से बोध कराती है। जैस दिवाकर, रजनीचर आदि। इसमें प्रकृति तथा प्रत्यय एक साथ अर्थबोध कराते हैं
तीसरा योगारूढ़ शब्द का। ऐसे शब्द यौगिक होते हुए भी रूढ़ होते हैं। उदाहरण के लिए जलज शब्द को लें। इसका सामान्य अर्थ है जो जल में उत्पन्न होता है। परन्तु यह शब्द इतना रूढ़ हो गया है कि लोग कमल फूल को ही जलज के अर्थ में प्रयोग में लाते हैं।


Page last modified on Monday December 30, 2013 09:36:22 GMT-0000