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अवतारवाद

अवतारवाद हिन्दू धर्म में वह मत है जिसमें कहा गया कि भगवान साधुओं की रक्षा के लिए, दुष्टों के नाश के लिए तथा धर्म की स्थापना के लिए इस धरती पर अवतरित होते हैं।

अवतारवाद की धारणा अत्यन्त प्राचीन है जिसका उल्लेख वेदों में भी मिलता है।

ईश्वर के अवतार के उल्लेख ग्रंथों में जलचर के रुप में जैसे मत्स्य, जलचर-थलचर के रुप में जैसे कूर्म, पशु के रुप में जैसे वाराह), पशु-मनुष्य मिश्रित रुप में जैसे नृसिंह तथा मनुष्य के रुप में जैसे राम, कृष्ण आदि, के रुप में मिलते हैं।


Page last modified on Wednesday January 15, 2014 07:10:28 GMT-0000