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आनन्दभुवन योग

आनन्दभुवन योग तान्त्रिक साधना का एक घोर विकृत रूप है। तान्त्रिक साधकों का आरोप है कि इसने तांत्रिक साधना को कलंकित किया है।

यही कारण है कि इसे साधना की श्रेणी से बाहर रखा गया है।

इस साधना में साधक कम से कम तीन और अधिक से अधिक 108 साधिकाओं के साथ मैथुन साधना करता है।

इसे विद्वानों ने कामशिल्प के तहत रखा है क्योंकि ऐसी मूर्तियां खजुराहो में पायी गयी हैं। यह अलग बात है कि मूर्तियों के साधक तान्त्रिक योगी की वेशभूषा में दिखाये गये हैं। ये मूर्तियां 11वीं शताब्दी की हैं। हो सकता है कि किसी काल में ऐसे आनन्दभुवन योगी रहे होंगे, परन्तु इसके और कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं, जिसके आधार पर कहा जाये कि यह योग की कोई मान्य परम्परा रही होगी।

आज ऐसे योगियों के अस्तित्व में होने के कोई प्रमाण नहीं हैं।



Page last modified on Wednesday July 16, 2014 17:44:52 GMT-0000