इंगला-पिंगला
योगशास्त्र में, विशेषकर हठयोग में, इंगला-पिंगला मनुष्य की उन दो नाड़ियो को कहा जाात है जो सुषुम्ना नाड़ी के दोनों ओर अवस्थित हैं।बायीं ओर की नाड़ी को इंगला या इड़ा कहा जाता है, तथा दाहिनी वाली नाड़ी को पिंगला। सन्त साहित्य में पिंगला के साथ अनुप्रास बैठाने के लिए इड़ा को इंगला कहा गया और इस तरह इंगला-पिंगला प्रचलन में आया।
इंगला को सूर्यनाड़ी तथा पिंगला को चन्द्रनाड़ी भी कहा जाता है।
योगियों का मानना है कि जो ब्रह्मांड में है वह पिंड अर्थात् शरीर में भी है। इसलिए इंगला को गंगा या वरुणा भी माना जाात है तथा पिंगला को यमुना तथा असी। गंगा और यमुना भारत की दो नदियां हैं जिसे योगी शरीर के अन्दर ही अनुभव में लाते हैं। यह असी काशी का एक नाला है, इसे भी योगी शरीर में ही अनुभव में लाते हैं।