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इन्द्रध्वज

प्राचीन भारत में इन्द्रध्वज एक प्रकार का उत्सव था। इसका नाम इन्द्रध्वज उस ध्वज के नाम पर पड़ा जिसे नारायण ने इन्द्र को दिया था।

वृहत्संहिता की एक कथा के अनुसार जब एक बार असुरों से पीड़ित देवताओं ने ब्रह्मा के पास जाकर उस पीड़ा से मुक्ति का उपाय पुछा तो उन्होंने उन्हें नारायण की शरण में जाने को कहा। देवता नारायण अर्थात् भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनकी आराधना की। भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर एक ध्वज इन्द्र को दिया। इन्द्र ने उसी ध्वज को स्थापित कर असुरों से संग्राम किया तथा विजयी हुए।

उसके बाद इन्द्र ध्वज की चर्चा एक बार महाभारत काल में आती है। उस कथा में कहा गया कि चेदिराज शिशुपाल ने एक बार एक बांस गाड़कर उसमें इन्द्रध्वज फहराया था। इन्द्र ने इससे प्रसन्न होकर शिशुपाल को वरदान दिया कि उनके राज्य में प्रजा निरोग रहेगी।

निकटवर्ती पृष्ठ
इन्द्रवज्रा, इन्द्रवंशा, इन्द्रियवाद, इन्द्रियसुखवाद, ईश्वर

Page last modified on Monday May 26, 2025 01:21:55 GMT-0000