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ईहामृग

ईहामृग नायक या प्रतिनायक के मन की वह अवस्था है जिसमें वह मृग के समान अलभ्य कामिनी, जो दिव्य और अनासक्त नारी होती है, को पाने की इच्छा करता है।

भारतीय नाटकों में ईहामृग को दिखलने के अनेक तरीके अपनाए जाते हैं। उस दिव्य स्त्री का अपहरण, उसके लिए युद्ध आदि के दृश्य दिखाये जाते हैं।


Page last modified on Friday July 25, 2014 07:20:08 GMT-0000