उत्तराखंड
उत्तराखंड का उल्लेख प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में केदारखंड, मानसखंड और हिमवंत के रूप में हुआ है। इस क्षेत्र पर कुषाणों, कुनिंदों, कनिष्क, समुद्रगुप्त, पौरवों, कत्यूरियों, पालों, चंद्रों, पंवारों और ब्रिटिश शासकों ने समय-समय पर राज किया है। इसके पवित्र स्थलों और तीर्थस्थलों के कारण बहुधा इसे देवताओं की धरती - 'देवभूमि' कहा जाता है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र पर्यटकों व तीर्थयात्रियों को निर्मल प्राकृतिक दृश्य प्रदान करते हैं।वर्तमान उत्तराखंड राज्य पहले आगरा और अवध संयुक्त प्रांत का हिस्सा था। यह प्रांत 1902 में अस्तित्व में आया। सन 1935 में इसे संक्षेप में केवल संयुक्त प्रांत कहा जाने लगा। जनवरी 1950 में संयुक्त प्रांत का नाम 'उत्तर प्रदेश' रखा गया। 9 नवंबर, 2000 को भारत का 27वां राज्य बनने से पूर्व तक उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा बना रहा।
हिमालय की तलहटी में स्थित उत्तराखंड राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं उत्तर में चीन (तिब्बत) और पूर्व में नेपाल से मिलती हैं। इसके उत्तर-पश्चिम में हिमालय प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश है।
कृषि
उत्तराखंड की 90 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। राज्य का कुल खेती योग्य क्षेत्र 767,571 हेक्टेयर है।
उद्योग और खनिज
राज्य में चूनापत्थर, राक फास्फेट, डोलोमाइट, मैग्नेसाइट, तांबा, ग्रेफाइट, जिप्सम आदि के प्रचुर भंडार हैं। राज्य में 34231 लघु औद्योगिक इकाइयां हैं, जिनमें 177677 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसके अलावा 14965.67 करोड़ रुपये के निवेश वाले उद्योग हैं। अधिकांश उद्योग वन-आधारित हैं।
सिंचाई और बिजली
राज्य के 549381 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। राज्य में पनबिजली उत्पादन की जबर्दस्त क्षमता है। यमुना, भागीरथी, भीलांगना, अलकनंदा, मंदाकिनी, सरयू, गौरी, कोसी और काली नदियों पर अनेक पनबिजली संयंत्र हैं, जिनमें बिजली का उत्पादन हो रहा है। राज्य की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 25450 मेगावाट है, जिसमें 13667 मेगावाट की परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। राज्य के 15,761 गांवों में से 15,241 गांवों में बिजली पहुंचा दी गई है।
परिवहन
सडकें: उत्तराखंड में पक्की सड़कों की कुल लंबाई 29,939 किलोमीटर है। सार्वजनिक निर्माण विभाग की सड़कों की लंबाई 22,623 कि.मी., स्थानीय निकायों द्वारा बनाई गई सड़कों की लंबाई 3,925 कि.मी. है।
रेलवे: प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं : देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, कोटद्वार, काशीपुर, हल्द्वानी, ऊधमसिंह नगर, रामनगर और काठगोदाम।
उड्डयन: जौली ग्रांट (देहरादून) और पंतनगर (ऊधमसिंह नगर) में हवाई पट्टियां हैं। नैनी-सैनी (पिथौरागढ़), गौचर (चमोली) और चिनयालिसौर (उत्तरकाशी) में हवाई पट्टियां बनाई जा रही हैं। पवनहंस लि. ने रुद्रप्रयाग से केदारनाथ तक तीर्थ यात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर सेवा शुरू की है।
त्योहार
विश्व प्रसिद्ध कुंभ मेला/अर्द्ध कुंभ मेला हरिद्वारा में प्रति बारहवें/छठे वर्ष के अंतराल में मनाया जाता है। अन्य प्रमुख मेले/त्योहार हैं : देवीधुरा मेला (चंपावत), पूर्णागिरि मेला (चंपावत), नंदा देवी मेला (अल्मोड़ा), गौचर मेला (चमोली), बैसाखी (उत्तरकाशी), माघ मेला (उत्तरकाशी), उत्तरायणी मेला (बागेश्वर), विशु मेला (जौनसार बावर), पीरान-कलियार (रुड़की), और नंदा देवी राज जात यात्रा हर बारहवें वर्ष होती है।
पर्यटन स्थल
तीर्थयात्रियों/पर्यटकों के आकर्षण के प्रमुख स्थल हैं : गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ, हरिद्वार, ऋषिकेश, हेमकुंड साहिब, नानकमत्ता आदि। कैलाश मानसरोवर की यात्रा कुमाऊं क्षेत्र से होकर जाती है। विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी, पिंडारी ग्लेशियर, रूपकुंड, दयारा बुग्याल, औली तथा मसूरी, देहरादून, चकराता, नैनीताल, रानीखेत, बागेश्वर, भीमताल, कौसानी और लैंसडाउन जैसे पर्वतीय स्थल पर्यटकों के आकर्षण के महत्वपूर्ण स्थल हैं।