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उपादान लक्षणा

साहित्य में उपादान लक्षणा तब होती है जब किसी वाक्य के अर्थ की अन्वय (तार्किक) सिद्धि के लिए जब शब्द अपने मुख्य अर्थ से किसी भिन्न अर्थ का संकेत देता है।

उदाहरण स्वरूप किसी व्यक्ति के लिए कहा जा सकता है कि वह तो देवता है। यहां देवता का अर्थ देवता से भिन्न देवता के गुणों वाला मनुष्य ही है।


Page last modified on Thursday July 31, 2014 06:24:41 GMT-0000