मुंबई के गेटवे आफ इंडिया से करीब 10 किलोमीटर दूरी पर अरब सागर में स्थित एक छोटे से टापू पर ठोस चट्टानों को तराशकर बनाई गई एलीफेंटा गुफाएं इतिहास प्रेमियों के साथ ही देशी विदेशी पर्यटकों को भी समान रूप से आकर्षित करती हैं। यहां तक पहुंचने के लिए गेटवे आफ इंडिया से मोटरबोट चलती है जो करीब सवा घंटे में यहां पहुंचा देती है। चारों ओर समुद्र से घिरा यह टापू घरापुरी के नाम से भी जाना जाता है।
ठोस चट्टानों को तराशकर बनाई गईं एलीफेंटा गुफाएं छठी शताब्दी की हैं। ऐसा माना जाता है कि पुर्तगालियों ने इसके तट पर हाथी प्रतिमा देखकर इसका नाम एलीफेंटा रखा था। पर्यटकों के लिए पिकनिक स्पाट का दर्जा रखने वाली एलीफेंटा गुफाओं ने सदियों मौसम की मार और पुर्तगाली शासकों की गोलियां झेली हैं।
मुंबई के एकदम पास होने के कारण एलीफेंटा गुफाएं पर्यटकों खासकर प्रेमी जोड़ों के लिए नौका विहार, पिकनिक और इतिहास एवं प्राचीन शिल्प को निहारने के साथ ही यहां मौजूद शिव मंदिर में शिवजी के दर्शन का लाभ उठाकर परलोक सुधारने के मिले-जुले पैकेज का काम करती हैं। इस टापू पर उतरने के बाद पत्थर की सीढ़ियां चढ़कर जैसे ही एलीफेंटा गुफा की ओर बढ़ते हैं इसके प्रवेश द्वार पर विशाल त्रिमूर्ति नजर आती है। तकरीबन 20 फुट ऊंची यह मूर्ति भारतीय शिल्पकला का खूबसूरत और आकर्षक नमूना है। इस मूर्ति के तीन मुख हैं जो सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा, सृष्टि के पालनहार विष्णु और सृष्टि के संहारक शिव के रूप को दर्शाते हैं।
देखा जाए तो एलीफेंटा गुफा एक प्रकार से शिव मंदिर कहा जा सकता है। प्राचीन काल में पत्थरों को तराशकर खूबसूरत मूर्तियों को गढ़ने की समृद्ध भारतीय शिल्पकला का नमूना एलीफेंटा भी गुफाओं में देखा जा सकता है। हालांकि पुर्तगाली शासकों ने अपनी राइफलों से गोलियां दागकर इन खूबसूरत मूर्तियों को क्षति पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है लेकिन कलाकृतियों में अब भी कमाल का आकर्षण है।
एलीफेंटा गुफाओं का निर्माण विशाल चट्टानों को तराशकर, स्तंभों की रचना कर, भीतर कक्षों के रूप में खाली स्थान का निर्माण कर एवं दीवारों पर मूर्तियों को उत्कीर्ण कर किया गया है। यहां पर अंदर विशाल स्थान के निर्माण के लिए चट्टानों को बाहर निकाला गया है।
तकरीबन 60000 वर्ग फुट क्षेत्रफल में फैले गुफा मंदिर में एक बड़ा कक्ष, दो पार्श्व कक्ष एवं गलियारा है। मंदिर में जाने की तीन प्रवेश मार्ग हैं। पूर्व, पश्चिम और उत्तर की ओर से इसमें प्रवेश किया जा सकता है। प्रवेश द्वार पर ही छह मजबूत स्तंभ बने हुए हैं। प्रवेश द्वार सीधा एक हाल में खुलता है और उसकी दीवारों पर शिवपुराण से संबंधित दृश्य उकेरे हुए हैं। हाल में मध्यम प्रकाश रहता है और ऐसा कहा जाता है कि प्रकाश की घटबढ़ के मद्देनजर यहां मूर्तियों के चेहरे के भाव भी बदलते रहते हैं।
हाल में करीब 30 स्तंभ हैं और पश्चिम की ओर शिवलिंग बना हुआ है। दक्षिणी दीवार पर कल्याण सुंदर, गंगाधर, अर्धनारीश्वर और उमा महेश्वर के चित्र उत्कीर्ण किए गए हैं। उत्तरी प्रवेश द्वार के पश्चिम की ओर नटराज और पूर्व की और योगीश्वर की मूर्ति है। पूरी दुनिया की धरोहर के तौर पर घोषित एलीफेंटा गुफाओं का ठीक से रखरखाव कर इसे एक बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
ठोस चट्टानों को तराशकर बनाई गईं एलीफेंटा गुफाएं छठी शताब्दी की हैं। ऐसा माना जाता है कि पुर्तगालियों ने इसके तट पर हाथी प्रतिमा देखकर इसका नाम एलीफेंटा रखा था। पर्यटकों के लिए पिकनिक स्पाट का दर्जा रखने वाली एलीफेंटा गुफाओं ने सदियों मौसम की मार और पुर्तगाली शासकों की गोलियां झेली हैं।
मुंबई के एकदम पास होने के कारण एलीफेंटा गुफाएं पर्यटकों खासकर प्रेमी जोड़ों के लिए नौका विहार, पिकनिक और इतिहास एवं प्राचीन शिल्प को निहारने के साथ ही यहां मौजूद शिव मंदिर में शिवजी के दर्शन का लाभ उठाकर परलोक सुधारने के मिले-जुले पैकेज का काम करती हैं। इस टापू पर उतरने के बाद पत्थर की सीढ़ियां चढ़कर जैसे ही एलीफेंटा गुफा की ओर बढ़ते हैं इसके प्रवेश द्वार पर विशाल त्रिमूर्ति नजर आती है। तकरीबन 20 फुट ऊंची यह मूर्ति भारतीय शिल्पकला का खूबसूरत और आकर्षक नमूना है। इस मूर्ति के तीन मुख हैं जो सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा, सृष्टि के पालनहार विष्णु और सृष्टि के संहारक शिव के रूप को दर्शाते हैं।
देखा जाए तो एलीफेंटा गुफा एक प्रकार से शिव मंदिर कहा जा सकता है। प्राचीन काल में पत्थरों को तराशकर खूबसूरत मूर्तियों को गढ़ने की समृद्ध भारतीय शिल्पकला का नमूना एलीफेंटा भी गुफाओं में देखा जा सकता है। हालांकि पुर्तगाली शासकों ने अपनी राइफलों से गोलियां दागकर इन खूबसूरत मूर्तियों को क्षति पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है लेकिन कलाकृतियों में अब भी कमाल का आकर्षण है।
एलीफेंटा गुफाओं का निर्माण विशाल चट्टानों को तराशकर, स्तंभों की रचना कर, भीतर कक्षों के रूप में खाली स्थान का निर्माण कर एवं दीवारों पर मूर्तियों को उत्कीर्ण कर किया गया है। यहां पर अंदर विशाल स्थान के निर्माण के लिए चट्टानों को बाहर निकाला गया है।
तकरीबन 60000 वर्ग फुट क्षेत्रफल में फैले गुफा मंदिर में एक बड़ा कक्ष, दो पार्श्व कक्ष एवं गलियारा है। मंदिर में जाने की तीन प्रवेश मार्ग हैं। पूर्व, पश्चिम और उत्तर की ओर से इसमें प्रवेश किया जा सकता है। प्रवेश द्वार पर ही छह मजबूत स्तंभ बने हुए हैं। प्रवेश द्वार सीधा एक हाल में खुलता है और उसकी दीवारों पर शिवपुराण से संबंधित दृश्य उकेरे हुए हैं। हाल में मध्यम प्रकाश रहता है और ऐसा कहा जाता है कि प्रकाश की घटबढ़ के मद्देनजर यहां मूर्तियों के चेहरे के भाव भी बदलते रहते हैं।
हाल में करीब 30 स्तंभ हैं और पश्चिम की ओर शिवलिंग बना हुआ है। दक्षिणी दीवार पर कल्याण सुंदर, गंगाधर, अर्धनारीश्वर और उमा महेश्वर के चित्र उत्कीर्ण किए गए हैं। उत्तरी प्रवेश द्वार के पश्चिम की ओर नटराज और पूर्व की और योगीश्वर की मूर्ति है। पूरी दुनिया की धरोहर के तौर पर घोषित एलीफेंटा गुफाओं का ठीक से रखरखाव कर इसे एक बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।