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कवि शिक्षा

कवियों को लिए जो शिक्षा का प्रावधान है उसे कवि शिक्षा कहते हैं। प्राचीन काल के आचार्यों ने इस प्रकार की शिक्षा का विशेष ध्यान रखा था।

कवि शिक्षा के अन्तर्गत लगभग सभी आचार्यों का मत है कि कवि को बहुश्रुत तथा सुशिक्षित होना आवश्यक है।

भामह (500-630) ने कहा कि शब्दार्थ का ज्ञान प्राप्त कर शब्दार्थवेत्ताओं की सेवा कर तथा अन्य कवियों के निबन्धों के देखकर काव्य क्रिया में प्रवृत्त होना चाहिए।

वामन (800 ईस्वी के लगभग) ने कवि के लिए लोकव्यवहार, शब्दशास्त्र, अभिधान, कोश, छन्द शास्त्र, कला, काम-शास्त्र तथा दण्डनीति का ज्ञान एवं काव्य शास्त्र का उपदेश करने वाले गुरुजनों की सेवा आवश्यक मानी है।

राजशेखर (880-920) ने अपनी काव्यमीमांसा में कविशिक्षा पर व्यापक रूप से लिखा तथा कवि के लिए आवश्यक शिक्षा का विधान बताया।

क्षेमेन्द्र (1050 ईस्वी के लगभग) ने कहा कि कवि बनने के अभिलाषी अधिकारी शिष्य को साहित्य मर्मज्ञ गुरु की सेवा करनी चाहिए, वाक्यार्थ शून्यपदों के सन्निवेश से पद्य रचना का अभ्यास करना चाहिए, प्रसिद्ध कवियों के काव्यों का अनुशीलन करना चाहिए, तथा नाटक, शिल्पियों के कौशल, सुन्दर चित्र, प्राणियों के स्वभाव तथा समुद्र, नदी, पर्वत आदि विभिन्न स्थानों का निरीक्षण करना चाहिए।

बारहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में वाग्भट ने कविशिक्षा का क्रम ही निर्धारित कर दिया जो इस प्रकार है -
अर्थहीन, परन्तु पद्य में चारुता लानेवाली पदावली द्वारा काव्य रचना के लिए समस्त छन्दों को वश में करे। उसके बाद एक ही अभिधेय को संक्षिप्त एवं विस्तृत रूप में विभिन्न अलंकारों का प्रयोग करते हुए पद्यबद्ध करने का अभ्यास करे। तदनन्तर उद्योगपूर्वक शास्त्रों का अध्ययन कर अभ्यास द्वारा शब्दार्थ को वश में कर कवि समयों का ज्ञान प्राप्त कर मन के प्रसन्न होने पर कविता करे।

उसके बाद भी अनेक आचार्यों ने कविशिक्षा का निर्देश किया।

आधुनिक काल में, विशेषकर बीसवीं शताब्दी में कविशिक्षा की पुरानी धारणाओं में अन्तर आया। कवियों ने स्वतंत्र ढंग से प्रकृति और समाज के देखना तथा उसका चित्रण करना प्रारम्भ किया। फिर भी श्रेष्ठ कवि होने के लिए भाषा, छन्द, शास्त्रों का अध्ययन आदि आज भी अनिवार्य माना जाता है।

आज कविता की दुर्दशा का कारण यह है कि स्वयं कवियों में ज्ञान का अभाव है और ज्ञानार्जन में उनकी रुचि भी कम होती गयी है। इससे कविता का स्तर गिरता गया है।


Page last modified on Sunday August 17, 2014 16:24:37 GMT-0000