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कश्मीरी

कश्मीरी, भारत की कश्मीर घाटी में बोली जाने वाली एक भाषा है। कश्मीर घाटी भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में है। जम्मू के किश्तवाड़ जिले में बोली जाने वाली भाषा को वैसे तो किश्तवाड़ी कहा जाता है परन्तु यह भी कश्मीरी की ही एक उपभाषा मानी जाती है।

कश्मीरी शब्द का उपयोग इस भाषा के रूप में सबसे पहले अमीर खुसरो ने 13वीं शताब्दी में किया था। परन्तु कश्मीर में 17वीं शताब्दी तक इसे देशभाषा या भाषा के नाम से ही जाना जाता था। अन्य प्रान्तों या स्थानों के लोग इसे कश्मीरी कहते थे जिसे बाद में कश्मीरियों ने भी अपना लिया। इस भाषा का काशुर भी कहते हैं।

तेरहवीं शताब्दी के शितिकण्ठ की महानयप्रकाश में इस भाषा की बानगी मिलती है जिसे उस समय सर्वगोचर देशभाषा कहा जाता था। वह उस समय प्राकृत की तुलना में अपभ्रंश के अधिक निकट थी। चौदहवीं शताब्दी में ललद्यद की वाणी में कश्मीरी भाषा का लालित्य देखने को मिलता है।

शैव सिद्धों ने इस भाषा का उपयोग अपने तन्त्र साहित्य में किया जिसके बाद यह धीरे-धीरे साहित्य की भी भाषा बनती चली गयी।

चौदहवीं शताब्दी में फारसी के कश्मीर की राजभाषा बनने के पहले कश्मीरी शारदा लिपि में लिखी जाती थी। परन्तु उसके बाद फारसी लिपि में भी कश्मीरी लिखी जाने लगी। आज भी इसी लिपि के परिवर्तित रूप का उपयोग कश्मीरी लिखने के लिए किया जाता है।

कश्मीरी में कुल 52 ध्वनिमान हैं। पदान्त में अति ह्रस्व इ, उ आते हैं तो इन्हें मात्रा स्वर कहा जाता है। शारदा लिपि में इसके नीचे विराम लगाया जाता था।

कश्मीरी का अपना व्याकरण है। कश्मीरी में नपुंसक लिंग कुछ ही सर्वनामों में लगाया जाता है। कश्मीरी कारक भी अब सरल कर दिये गये हैं। वचन, लिंग, कर्ता, कर्म और काल के अनुसार इसमें एक एक धातु के अनेक रूप मिलते हैं।


Page last modified on Tuesday August 19, 2014 08:15:04 GMT-0000