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कोश

वेदान्त तथा कबीर पंथ में कोश या कोष वह आवरण है जो आत्मा को आवृत्त किये हुए है। परन्तु दोनों में न केवल संख्या में अन्तर है बल्कि उसके क्रम में भी अन्तर है।

वेदान्त के अनुसार कोष पांच हैं - अन्नमय कोष, प्राणमय कोष, मनोमय कोष, ज्ञानमय कोष तथा आनन्दमय कोष।

शुक्र तथा शोणित से बने इस शरीर को अन्नमय कोष कहा जाता है। शेष चार कोषों को लिंग शरीर कहा जाता है। मृत्यु के बाद तो शरीर यहीं रह जाता है परन्तु लिंग शरीर आत्मा के साथ जाता है।

अन्नमय कोष स्थूल है तथा उससे प्राणमय, मनोमय, ज्ञानमय तथा आनन्दमय कोष सूक्षतर होते चले जाते हैं।

कबीरपंथ में नौ कोष हैं - अन्नमय, शब्दमय, प्राणमय, आनन्दमय, मनोमय, प्रकाशमय, ज्ञानमय, आकाशमय एवं विज्ञानमय।


Page last modified on Monday August 25, 2014 17:38:00 GMT-0000