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गोवा

गोवा प्राचीनकाल में गोमांचल, गोपकपट्टम, गोपकेपुरी, गोवापुरी और गोमांतक आदि कई नामों से विख्‍यात रहा है। इस प्रदेश की लंबी ऐतिहासिक परंपरा रही है। गोवा के प्रारंभिक इतिहास के संबंध में स्‍पष्‍ट जानकारी नहीं है। ईसा पूर्व पहली शताब्‍दी में गोवा सातवाहन साम्राज्‍य का अंग था। उसके बाद कदंब, मलखेड़ के राष्‍ट्रकूटों, चालुक्‍य तथा सिलाहार राजवंशों का इस पर शासन रहा। 14वीं शताब्‍दी के अंत में यादवों का साम्राज्‍य समाप्‍त हुआ और दिल्‍ली के खिलजी वंश ने इस पर अपना अधिकार किया। इस प्रकार गोवा मुस्लिम शासकों के अधीन आ गया। सन 1498 में वास्‍कोडिगामा द्वारा भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज के बाद कई पुर्तगाली यात्री भारत पहुंचे। सन 1510 में एल्‍फांसो द अलबुकर्क ने विजयनगर के सम्राट की सहायता से गोवा पर आक्रमण करके इस पर कब्‍जा कर लिया। सन 1542 में जेसुइट सेंट फ्रांसिस जेवियर के आगमन से गोवा में धर्म परिवर्तन का काम आरंभ हुआ। 17वीं शताब्‍दी के उत्‍तरार्द्ध के कुछ वर्षों को छोड़कर, जब शिवाजी ने गोवा तथा उसके आसपास के कुछ क्षेत्रों पर अधिकार किया, समूचे क्षेत्र पर पुर्तगालियों का शासन जारी रहा। भारत के स्‍वतंत्र होने के बाद भी गोवा पुर्तगालियों के कब्‍जे में रहा, किंतु पुर्तगाली शासक गोवावासियों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पाए और अंतत: 19 दिसंबर, 1961 को गोवा को मुक्‍त करा लिया गया और इसे दमन तथा दीव के साथ मिलाकर केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया। 30 मई, 1987 को गोवा को पूर्ण राज्‍य का दर्जा दिया गया और दमन तथा दीव को अलग केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया।

गोवा भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसके उत्‍तर में तेरेखोल नदी बहती है, जो गोवा को महाराष्‍ट्र से अलग करती है। इसके दक्षिण में कर्नाटक का उत्‍तर कन्‍नड़ जिला और पूर्व में पश्चिमी घाट तथा पश्चिम में अरब सागर है। पणजी, मडगांव, वास्‍को, मापुसा, तथा पोंडा राज्‍य के प्रमुख शहर हैं।

गोवा मौजूदा समय में अपनी मुक्ति और पूर्ण राज्य का दर्जा की प्राप्ति के 25 साल के स्वर्ण जयंती मना रहा है।
कृषि

चावल यहां की मुख्‍य खाद्य फसल है। इसके अलावा दालें, रागी तथा कुछ अन्‍य खाद्य फसलें भी उगाई जाती हैं। नारियल, काजू, सुपारी तथा गन्‍ने जैसी नकदी फसलों के साथ-साथ यहां अनन्‍नास, आम और केला भी होता है। राज्‍य में 1,424 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में घने वन हैं।
सिंचाई और बिजली

राज्‍य में सेलाउलिम और अंजुनेम जैसे बांधों और अन्‍य लघु सिंचाई परियोजनाओं के चालू हो जाने से सिंचित क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। इन परियोजनाओं से अब तक कुल 43,000 हेक्‍टेयर की सिंचाई क्षमता उपलब्‍ध हो सकी है। राज्‍य के सभी गांवों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है और शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्‍य प्राप्‍त किया जा चुका है।
उद्योग तथा खनिज

राज्‍य में लघु उद्योगों की संख्‍या 7,110 है और 20 औद्योगिक परिसर हैं। राज्‍य के खनिज उत्‍पादों में फैरो मैंगनीज, बॉक्‍साइट, लौह-अयस्‍क आदि शामिल हैं और इनके निर्यात से राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था में महत्‍वपूर्ण योगदान मिलता है।
मत्‍स्‍यकी

राज्‍य में मत्‍स्‍यकी का एक प्रमुख स्‍थान है क्‍योंकि 90 प्रतिशत जनसंख्‍या मत्‍सय उद्योग में लगी हैं। लगभग एक लाख लोग मत्‍स्‍य उद्योग में कार्यरत हैं। 3220 मछुआरों को राज्‍य बीमा योजना में शामिल किया गया है। 718 मछुआरों को सेविंग-कम-रीलीफ फंड योजना में शामिल किया गया है।
कला एवं संस्‍कृति

राज्‍य को कला एवं संस्‍कृति निदेशालय द्वारा आईएसओ 9001-2000 प्रमाणपत्र दिया गया है। गोवा में टाइट अकादमी की स्‍थापना की गई है। सांस्‍कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा कलाकारों को सहायता देने के लिए कला सम्‍मान, कलाकार कृतिदन्‍यता निधि जैसी विभिन्‍न योजनाएं चलाई जा रही हैं।
परिवहन

सड़कें: राज्‍य में राष्‍ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 264 किलोमीटर तथा प्रांतीय राजमार्गों की लंबाई 279.4 किलोमीटर है। इसके अलावा MDR/RR/4501.18 किलोमीटर मार्ग हैं।

रेलवे: गोवा कोंकण रेलवे के माध्‍यम से मुंबई, मंगलौर और तिरूवनंतपुरम से जुड़ा है। इस रेलमार्ग पर अनेक तेज-रफ्तार रेलगाडियां शुरू की गई हैं। वास्‍कोडिगामा दक्षिण मध्‍य रेलवे के बंगलौर और बेलगांव स्‍टेशनों से जुड़ा है। इस मार्ग का इस्‍तेमाल फिलहाल माल यातायात के लिए हो रहा है।

उड्डयन: डबोलिम हवाई अड्डे से मुंबई, दिल्‍ली, तिरूवनंतपुरम, कोच्चि, चेन्‍नई, अगाती और बंगलौर के लिए नियमित विमान सेवाएं हैं।

बंदरगाह: मरमुगाव राज्‍य का प्रमुख बंदरगाह है। यहां मालवाहक जहाजों के लिए सुविधाएं उपलब्‍ध हैं। इसके अलावा पणजी, तिराकोल, चपोरा बेतूल और तालपोना में भी छोटे बंदरगाह हैं, मगर इनमें से पणजी प्रमुख व्‍यस्‍त बंदरगाह है। हाल में यहां जहाजों के लिए एक पत्‍तन (पोर्ट) चालू हुआ है।
सिंचाई

गोवा तथा महाराष्‍ट्र की संयुक्‍त सिंचाई परियोजना तिलारी का उद्देश्‍य गोवा की 24618 हेक्‍टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्‍ध कराना है। इसके अलावा 57.43 घन मीटर पानी घरेलू तथा औद्योगिक कार्यों के लिए दिया जाएगा।
वन

राज्‍य के 34 प्रतिशत हिस्‍से पर वन हैं। लगभग 30.18 लाख पौधे लगाए गए तथा 978.50 हेक्‍टेयर क्षेत्र पर पौधे लगाए गए।
स्‍वास्‍थ्‍य

लोगों के घरों तक स्‍वास्‍थ सुविधाएं उपलब्‍ध कराई जा रही हैं। स्‍वास्‍थ्‍य तथा चिकित्‍सा सुविधाओं के मामले में राज्‍य का प्रदर्शन बहुत अच्‍छा है। मेडी‍क्‍लेम योजना के तहत धनराशि को बढ़ाकर आठ लाख रुपए कर दिया गया है। मोबाइल हेल्‍थ केयर तथा 108 एंबुलेंस सेवा शुरू की गई है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों में नवजात शिशुओं की पूरी देखभाल की व्‍यवस्‍था है।

पर्यटन स्‍थल

गोवा के महत्‍वपूर्ण पर्यटन स्‍थल हैं- कोलवा, कालनगुटे, वागाटोर, बागा, हरमल, अंजुना और मीरामार समुद्र तट; पुराने गोवा में बैसीलिका ऑफ बोम जीसस और से-केथेड्रल चर्च; कावलेम, मारडोल, मंगेशी तथा बनडोरा मंदिर; अगुडा, तेरेखोल, चपोरा और काबो डि रामा किले; प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध दूधसागर और हरवालेम जलप्रपात तथा माएम झील हैं। राज्‍य में समृद्ध वन्‍यप्राणी उद्यान हैं, जैसे- बोंडला, कोटीगाव तथा मोलेम वन्‍यप्राणी उद्यान और चोराव में डॉ. सलीम अली पक्षी उद्यान, जिसका कुल क्षेत्रफल 354 वर्ग किलोमीटर है।

Page last modified on Thursday April 3, 2014 07:01:47 GMT-0000