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घत्ता

घत्ता एक प्रसिद्ध मात्रिक अर्धसम छन्द है जो अपभ्रंश काव्य में अत्यन्त लोकप्रिय रहा है। प्राकृतपैंगलम में इसे द्विपदी कहा गया है। इसके विषम चरणों में 18 तथा सम चरणों में 13 मात्राएं होती हैं। इसके अन्त में तीन लघु होते हैं।

इस छन्द का प्रयोग अपभ्रंश चरित काव्यों में संधियों के प्रारम्भ में मिलता है। हिन्दी साहित्य में चौपाइयों के बाद जिस प्रकार दोहों का प्रयोग मिलता है उसी प्रकार अपभ्रंश चरित पुराण में घत्ता का प्रयोग होता रहा है।

Page last modified on Wednesday April 15, 2015 04:13:26 GMT-0000