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घनवाद

घनवाद एक चित्रण विधा है। फ्रांस के प्रसिद्ध चित्रकार सेजान की चित्रण शैली से इसका जन्म माना जाता है। बीसवीं शताब्दी में प्रथम विश्वयुद्ध से पूर्व ही यह प्रचलित हो गया था।

सेजान ने भंग परिधीय रेखाओं को कोणिक रूप देते हुए चित्रों को घन रूप में निखारा। वस्तुओं की घनता की परिचायक इस शैली में उनके बाद अनेक चित्रकारों ने काम किया। इस परम्परा के महान चित्रकारों में पाब्लो पिकासो तथा जर्ज ब्राक शामिल हैं।

घनवाद में माना जाता है कि कण ही पदार्थों के प्ररम्भिक स्वरूप हैं और सबसे छोटे कण अणु कहलाते हैं जिनका आकार क्रिस्टल (रवादार मिश्री जैसा आकार) जैसा होता है। इन्हीं कणों के बदलते कोणीय स्वरूप से ही पदार्थों का बाह्य स्वरूप का निर्धारण होता है। घनवादियों का कहना है कि वर्तुल या भंग रेखाओं से चित्रकारी के स्थान पर ज्यामितीय आकारों के सहारे चित्रकारी होनी चाहिए।

इसके अनुसार शक्ति सौन्दर्य है। सीधी रेखाएं टेढ़ी या गोलाकार भंग रेखाओं से अधिक शक्तिशाली होती हैं।

Page last modified on Wednesday April 15, 2015 05:00:24 GMT-0000