घाघ
घाघ (17वीं शताब्दी) भारत के एक लोक कवि थे। वह अकबर के समकालीन थे। वह कन्नौज के दुबे ब्राह्मण थे। अकबर ने उन्हें चौधरी की उपाधि दी थी और उसी की आज्ञा से उन्होंने 'अकबराबाद सराय घाघ' नाम का एक गांव भी बसाया था। इसे आज चौधरी सराय का नाम से जाना जाता है। जमीन के दस्तावेज में इसका उल्लेख 'सराय घाघ' के नाम से मिलता है। इनकी रचनाएं मौखिक परम्परा में ही मिलती हैं जिनका बाद में संकलन किया गया। राम नरेश त्रिपाठी द्वारा किये गये संकलन में घाघ के 323 पद मिलते हैं, जिनमें अनेक के केवल एक ही पंक्ति उपलब्ध हैं। उन्होंने मौसम, स्वास्थ्य, खेती, व्यापार आदि पर सीधे सपाट तरीके से अपनी बातें रही हैं।