Loading...
 
Skip to main content
(Cached)

चंपू

चंपू श्रव्य काव्य का एक भेद है। इसमें गद्य तथा पद्य का मिश्रण होता है। इस शैली का प्रयोग वैदिक साहित्य, बौद्ध जातक, जातकमाला आदि प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है परन्तु चम्पू के नाम से प्रकृत काव्य की रचना दसवीं शताब्दी में प्रारम्भ हुई। इसका प्रसिद्ध उदाहरण है नल चम्पू जिसकी रचना त्रिविक्रमभट्ट ने दसवीं शताब्दी में की। इसके बाद भोजराज का चम्पू रामायण, सोमदेव सूरि का यशःतिलक, कवि कर्णपूर का आनन्दवृन्दावन, जीव गोस्वामी का गोपाल चम्पू, नीलकण्ठ दीक्षित का नीलकण्ठ चम्पू और अनन्त कवि का चम्पू भारत उल्लेखनीय है जिनका रचना काल सत्रहवीं सदी तक का है। हिन्दी में मैथिलीशरण गुप्त की यशोधरा को चम्पू काव्य माना जाता है। इस शैली में लेखन अधिक लोकप्रिय नहीं हो सका।

Page last modified on Thursday June 18, 2015 05:31:12 GMT-0000