चान्द्रायण
चांद्रयण मात्रिक सम छन्द का एक भेद है।
भानु ने इसकी 21 मात्रा के चरण में 11, 10 की यति बतायी है और क्रमशः इन्हें जगणान्त तथा रगणान्त बताया। परन्तु कवियों ने इनका प्रायः अनुसरण नहीं किया। चन्द के पृथ्वीराज रासो, सूरदास के सूरसागर, आदि में इसका प्रयोग मिलता है।