चारताल
चारताल भारतीय संगीत में एक प्रमुख ताल है। इसकी विशेषता है कि इसका स्वरूप एकताल का लगता है परन्तु वास्तव में यह चौताल अर्थात् चार ताल का है। यह ध्रुव पद का ताल माना जाता है। इसमें एकताल की तरह ही छह भाग होते हैं तथा प्रत्येक भाग में दो-दो मात्राएं होती हैं। इस प्रकार एकताल की तरह ही इसमें कुल मिलाकर बारह मात्राएं होती हैं। एक ताल की तरह ही इसमें भी दो भाग खाली ताथा चार ताली होती है।उदाहरण -
धा धा | दिं ता | किट धा | दिं ता | तेटे कत्ता | गदि गन |
X | 0 | 2 | 0 | 3 | 4 |
X चिह्न से ताल का उद्भव (प्रारम्भ) होता है जिसे सम या सम ताल भी कहते हैं।