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चित्रात्मकता

साहित्य में चित्रात्मकता उस गुण को कहा जाता है जिसमें शब्दों का प्रयोग कुछ इस प्रकार किया जाता है जिससे पाठक के मस्तिष्क में एक चित्र उभरता है।

इसके लिए विशेषण तथा अलंकार, विशेषकर उपमा-रूपक आदि, का प्रयोग किया जाता है। बिम्बों और प्रतीकों के माध्यम से चित्रात्मकता उत्पन्न होती है।

चित्रात्मकता को काव्य की शक्ति माना गया है। कुछ विद्वान इसे काव्य की सबसे बड़ी शक्ति मानते हैं।


Page last modified on Saturday October 29, 2016 18:51:37 GMT-0000