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चेचक

चेचक एक संक्रामक रोग है। इसे शीतला, माता, या मसूरिका के नाम से भी जाना जाता है। इसके कीटाणु अत्यंत प्रबल होते हैं जिसके कारण इससे बचने की क्षमता शरीर में नहीं होती। यह बड़ा ही कष्टकारण रोग है। यह रोग बाल्यावस्था में बहुधा 4-5 वर्षों तक अधिक होता है। इसका प्रकोप प्रायः बसन्त ऋतु में होता है। एक बार इस रोग के हो जाने पर शरीर में इसकी प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो जाती है जिसके कारण यह रोग प्रायः दोबारा नहीं होता।

चेचक के रोग का विष तथा कीटाणु रोगी की त्वचा, मुख, नाक से निकलने वाले मल, फुंसियों के बीच की सूखी पपड़ियों, मल-मूत्र तथा शरीर के सभी स्राव में पाये जाते हैं। इसलिए रोगी के उपयोग में आने वाले कपड़ों तथा बर्तनों को भलि-भांति विष तथा जीवाणुमुक्त कर ही उपयोग में लाना चाहिए।

चिकित्साशास्त्र के अनुसार यह रोग स्वयमेव ठीक होने वाला है परन्तु अधिक बढ़ जाने पर जानलेवा भी हो जाता है। अनेक बार इसके अच्छा हो जाने पर भी यह मनुष्य के शरीर में दाग रह जाता है।

चेचक से बचने का सबसे प्रभावशाली तरीका टीकाकरण है।



Page last modified on Sunday April 6, 2014 05:07:05 GMT-0000