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जलहरण

जलहरण एक छन्द है जो मुक्तक दण्डक का एक भेद है। इस छन्द में 32 अक्षर होते हैं। आठ, आठ, नौ, तथा उसके बाद सात पर यति।

सामान्यतः पादान्त के दोनों वर्ण लघु होते हैं। यदि अन्त में गुरू हो तो उसके पहले वाले वर्ण का लघु होना आवश्यक है, परन्तु अन्त के गुरू का उच्चारण भी लघु की तरह ही होता है।

इसके प्रमुख कवि हैं केशव, मतिराम, मद्माकर, घनानंद, भारतेन्दु तथा रत्नाकर आदि। यह रीतिकाल से लेकर घनाक्षरी वृत्त लिखने वाले आधुनिक काल के कवियों तक में लोकप्रिय रहा है।

उदाहरण के रूप में केशव की एक कविता देखें -

सीता जूके मुख सुख सुषमा की उपमा को
कोमल न कमल न अमल न रयनपति।

Page last modified on Sunday February 26, 2017 07:05:55 GMT-0000