जैन चरित-साहित्य
जैन धर्मावलम्बियों द्वारा रचित वैसा साहित्य जो किसी एक पात्र या अनेक पात्रों की जीवनीयों पर आधारित होता है, उन्हें जैन चरित-साहित्य कहा जाता है। ऐसा साहित्य संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश तथा आधुनिक भारतीय भाषाओं में प्राप्त होता है।जैन कवियों ने अनेक चरित-काव्य भी लिखे हैं। इन कवियों ने प्रायः प्रसिद्ध पात्रों को ही चुना, विशेषकर धार्मिक व्यक्तियों को। अनेक चरित-काव्यों के नाम में चरित, चउपई तथा रास शब्द का प्रयोग मिलता है। इनके स्वर धर्मप्रधान ही होते हैं।
जैन चरित-साहित्य तेरहवीं शताब्दी के प्रारम्भ से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी तक लिखे गये, जिनमें शैलीगत विशेषताएं और समानताएं हैं।