झुलना
झुलना (झूलना, झुलणा या तीज) एक प्रकार का लोकगीत है जो सावन के महीने में ब्रज तथा कुरु क्षेत्र में गाया जाता है। इन गीतों में कथाएं भी होती हैं और लोकजीवन के विविध पहलुओं का वर्णन भी। झुलना गीत नाम से भी जाने जाते हैं, जैसे चंदरावली, जिसमें बाबा बीजणे की चर्चा है तथा सास बहू से कहती है कि पानी भरने न जाओ क्योंकि मुगलों ने डेरा डाल रखा है।झुलना नामक एक अन्य लोकगीत भी है जिसे शिशु को झूला झुलाते समय गाया जाता है।
झुलना नामक एक छन्द भी है जिसमें 26 मात्राएं होती हैं। इसके प्रत्येक चरण में 7, 7, 7 तथा 5 का विराम होता है तथा अन्त में गुरु-लघु S। होता है।