टी एन राजरतनम पिल्लई का जन्म तन्जावुर जिले में थिरूवदुथुरई के श्री कुप्पूस्वामी पिल्लई और श्रीमती गोविंदमणी के घर 27 अगस्त, 1898 को हुआ था। तन्जावुर जिला तमिलनाडु में संस्कृत का पालना कहलाता है1 उन्होंने बहुत ही कम उम्र में संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। बाद में उन्होंने नादस्वरम के जाने माने विद्वान श्री अम्माचत्रम कन्नूस्वामी पिल्लई से नादस्वरम को बजाना सीखा। धीरे-धीरे संगीत की इस विधा के वे महान कलाकार हो गये। नादस्वरम बजाने की उनकी कला ने समाज के सभी वर्गों को प्रभावित किया और जब भी वे उनके कार्यक्रम सुनते वे मंत्रमुग्ध हो जाते। संगीत के इस महान कलाकार का देहांत 12 दिसम्बर, 1956 को हुआ था।
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