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डिम

डिम एक रूपक है। इस रूपक को आचार्य हेमचन्द्र ने डिम्ब तथा विद्रोह के नाम से भी अभिहित किया है।

सामान्य अर्थों में डिम समूह को कहते हैं। भरत मुनि के अनुसार इस रूपक में देवता, नाग, राक्षस, यक्ष, पिशाच आदि 16 पात्रों के समूह में परस्पर वैमनस्य एवं संघर्ष का प्रदर्शन होता है। इसमें उनके मायावी तथा ऐन्द्रजालिक गतिविधियों का भी चित्रण होता है।

नाट्यशास्त्रों के अनुसार इसमें शान्त, हास्य तथा श्रृंगार रस नहीं होता।

Page last modified on Thursday March 2, 2017 05:53:08 GMT-0000