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तप

भारतीय चिंतन परम्परा में तप मानव कल्याण का एक महत्वपूर्ण साधन है। तैत्तिरीय आरण्यक में कहा गया है -

ऋत (मन, वचन तथा कर्म में शुद्धता), सत्य, दम तथा स्वाध्याय तप हैं।

तप अनेकानेक प्रकार से किये जाने का उल्लंख हमारे धार्मिक तथा आध्यात्मिक ग्रंथों में मिलता है परन्तु उन सभी में इन्हीं चार तप के मार्गों पर चलना होता है।

ऋग्वेद के अनुसार जो व्यक्ति पवित्र आचरम रूपी तप से पवित्र होते हैं वे ही परमात्मा को प्राप्त होने के योग्य होते हैं।

Page last modified on Tuesday April 1, 2014 11:23:49 GMT-0000