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तार्टक

तार्टक एक छन्द है। यह मात्रिक सम छन्द का एक भेद है। लोकछन्द के रूप में इसे लावनी के नाम से भी जाना जाता है। जब लावनी लोकछन्द के रूप में प्रयुक्त होता है तब उसमें गुरु-लघु का विशेष नियम नहीं रहता।

शास्त्रीय रूप में इस छन्द के प्रत्येक चरण में 16, 14 की यति से 30 मात्राएं होती हैं तथा अन्त में मगण रहता है। परन्तु परम्परा से भिन्न 14, 14 की यति से 30 मात्राओं और अन्त में मगण वाले तार्टक छन्द का प्रयोग भी सूदन की काव्य रचनाओं में मिलता है। सूर तथा तुलसी ने इस छन्द का खूब प्रयोग किया है।

उदाहरण – देव तुम्हारे कई उपासक, कई ढंग से आते हैं।
सेवा में बहुमूल्य भेंट, वे कई रंग के लाते हैं। - सुभद्रा कुमारी चौहान

Page last modified on Monday March 6, 2017 06:51:42 GMT-0000