तिनका
तिनका का सामान्य अर्थ है तृण। तृण चूंकि बहुत छोटा होता है इसलिए बहुत छोटे या सूक्ष्म के अर्थ में भी इस शब्द का प्रयोग मिलता है। 'उनका' शब्द के लिए भी 'तिनका' शब्द का प्रयोग होता है।उदाहरण के रूप में कबीर की एक साखी देखें -
आई आंधी प्रेम की तिनका उड़ा अकास,
तिनका तिनका ह्वै रहा तिनका तिनके पास।
अर्थात् ईश्वर प्रेम की आंधी आयी तो तिनका (तृण स्वरूप माया, या मोह आदि से मुक्त तृण स्वरूप काया) आकाश (आसमान या परमव्योम ब्रह्म) में उड़ चला। वह तिनका (तिनका रूपी काया) तिनकामय (परब्रह्ममय) हो चला तथा तिनका (काया) तिनके (उनके या उन परब्रह्म के) पास चला गया।
कबीर का ही एक और उदाहरण देखें जिसमें उनका के अर्थ में तिनका शब्द का सुन्दर प्रयोग है।
कबीर कलियुग आइया मुनिवर मिलै न कोइ।
कामी क्रोधी मसखरा तिनका आदर होइ।