त्रिवेणी
त्रिवेणी का सामान्य अर्थ है वह स्थान जहां तीन नदियां मिलती हैं। जैसे प्रयाग, जहां गंगा, यमुना, और सरस्वती नदियां मिलती हैं। भारतीय अध्यात्म एवं दर्शन में त्रिवेणी में स्नान का अत्यन्त महत्व है। माना जात है कि त्रिवेणी में स्नान करने से मुक्ति मिलती है।जहां तक भारतीय योग परम्परा की बात है, उसमें तीन के मिलन की बात तो है, परन्तु उनमें नदियां भिन्न है।
उदाहरण के लिए हठयोग प्रदीपिका लें। उसमें योग की चर्चा करते हुए इड़ा को गंगा, तथा पिंगला को यमुना कहा गया है।
शिव संहिता में भी इन्हें ही गंगा-यमुना कहा गया तथा इनके मध्य स्थित सुषुम्ना को सरस्वती कहा गया।
इन तीनों का मिलन ब्रह्मरन्ध्र में होता है, जिसे प्रयाग कहा गया है। योग साधकों को बताया गया है कि इसी प्रयाग में स्नान करने से मुक्ति मिलती है। स्नान करने का अर्थ भी यहां अलग है। योगी प्रयाग में स्नान का अर्थ ब्रह्मरंध्र में लीन हो जाना मानते हैं।
हठयोगियों ने सभी भौगिलक तीर्थ स्थलों को नकारा है। वे सभी तीर्थों को पिण्ड अर्थात् शरीर के अन्दर ही अवस्थित मानते हैं। उनका मानना है कि संसार में जो कुछ भी है वह सबकुछ पिण्ड में ही है।