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दादावाद

दादावाद या दादा एक आधुनिक यूरोपीय कला आन्दोलन का नाम है। दादावाद के प्रधान चित्रकार हैं ज्यां आर तथा अर्न्स्ट मॉक्स। कोलाज तथा फ्रोताज (वस्तुओं पर कागज रखकर रगड़ने से बने चित्र) जैसे नाम मॉक्स के चित्रों से ही प्रसिद्ध हुए।

दादावाद का आरम्भ 1916 में जूरिक में हुआ। इस आन्दोलन के प्रवर्तक हैं ज्यां आर, जिन्होंने अपने साथियों के सहयोग से इस आन्दोलन को आगे बढ़ाया। इस आन्दोलन की प्रचारक पत्र-पत्रिकाएं थीं - कबरे वोल्त्येअर, 391, दादा आदि। इसके अलावा अनेक चित्र प्रदर्शनियां भी इसके प्रचार का माध्यम बनीं।

जीवन से दुखी कुछ युवक-युवतियां उस समय एकत्र हुए। उन्दोंने कहा कि जिन्दगी ने उनको धोखा दिया। इसिलए जिन्दगी के और संसार के इस अनैतिक स्वभाव का वे भंडाफोड़ करेंगे। फिर क्या था उन्होंने सारी परम्पराओं, तर्कों, कलाओं, संस्कृतियों आदि पर प्रहार करना प्रारम्भ कर दिया। चित्रों में आकस्मिक और अप्रत्याशित का चित्रण होने लगा। कला के रसवादी सौन्दर्य के विरद्ध तथा परम्परागत संस्कृति का उपहास उनकी कलाओं में देखा गया। उदाहरण के लिए मोनालीजा के पुराने विख्यात चित्र में मूंछें लगाकर उन्होंने चित्र बनाए।

दादावाद का अतियथार्थवाद से गहरा सम्बंध रहा है। वास्तव में अतियथार्थवाद दादावाद की अगली कड़ी ही है।

निकटवर्ती पृष्ठ
दादूपंथ, दार्शनिक आदर्शवाद, दिउ तट, दिलवाड़ा मंदिर, माउंटआबू, दिल्‍ली का पुराना किला

Page last modified on Monday May 26, 2025 15:17:54 GMT-0000