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दिवास्वप्न

दिवास्वप्न एक मनोदशा है जिसमें व्यक्ति अत्यन्त कल्पना लोक में रहता है। यह मनुष्य के स्वभाव का ही एक अंग है, परन्तु आत्यन्तिक कल्पना समस्याएं भी पैदा करती हैं। कुण्ठित, निराश, या असफल व्यक्ति दिवास्वप्न का सहारा लेता है, तथा अपनी दमित अथवा अतृप्त इच्छाओं की पूर्ति करता है। कविता, कहानी, चित्रकला आदि के माध्यम से भी दिवास्वप्नों की अभिव्यक्ति देखने को मिलती है।

वास्तविकता और दिवास्वप्न में अन्तर करना पीड़ितों के लिए कई बार सम्भव नहीं होता। छोटे बच्चे और किशोरों को कई बार अन्तर का पता नहीं चलता। किशोरावस्था में हवाई किले बनाना एक सामान्य बात है, परन्तु समय बीतते के साथ ऐसी प्रवृत्ति समाप्त भी हो जाती है।
बच्चों और किशोरों मे दिवास्वप्न प्रायः तीन प्रकार के होते हैं – पोषित सन्तान होने की भावना, वीर नायक होने की भावना, तथा अपनी मृत्यु के बारे में सोचना।

पहले प्रकार में बालक या किशोर सोचता है कि वह जिस माता-पिता के साथ रहता है वे मात-पिता उसके असली माता-पिता नहीं हैं। उनके असली माता-पिता कोई बड़ा आदमी है। दूसरे प्रकार में बच्चा सोचता है कि वह किसी क्षेत्र में अत्यन्त सफल हो गया है। तीसरी अवस्था में वह सोचता है कि वह मर गया है और उसके परिजन उसके चारों ओर खड़े हैं या उसे लेकर श्मशान की ओर ले जा रहे हैं।
दिवास्वप्न के और भी प्रकार हो सकते हैं जैसे यौन या महत्वाकांक्षा विषयक।


Page last modified on Friday March 31, 2017 06:25:59 GMT-0000