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देवनागरी

देवनागरी एक लिपि है। इस लिपि को नागरी के नाम से भी जाना जाता है। भारत की प्राचीनतम ब्राह्मी लिपि की यह प्रतिनिधि उत्तराधिकारिणी है। संस्कृत, हिन्दी, माराठी आदि इसी लिपि में लिखी जाती है।

देवनागरी लिपि का प्रयोग उत्तर भारत में दसवीं शताब्दी के प्रारम्भ से होने लगा था। इसके पूर्व उत्तर भारत में ब्राह्मी लिपि की उत्तर ब्राह्मी शैली तथा दक्षिण भारत में दक्षिण ब्राह्मी शैली प्रचलन में थी। दक्षिण भारत की लिपियां दक्षिण ब्राह्मी शैली, तथा उत्तर भारत की लिपियां उत्तर ब्राह्मी शैली से ही विकसित हुईं। यह दोनों शैली 350 इस्वी तक अलग-अलग हो चुकी थीं, तथा उनमें काफी अन्तर आ चुका था। इसके पूर्व सम्पूर्ण भारतवर्ष में ब्राह्मी लिपि का प्रचार हो चुका था।

बारहवीं शताब्दी तक देवनागरी लिपि विकसित हो गयी थी। यह कागज पर बाएं से दायें की ओर लिखी जाती है। इसमें 45 मूल लिपिचिह्न हैं। स्वरों की मात्राओं तथा अंकों के चिह्न अलग से हैं। नयी ध्वनियों के लिए नये लिपिचिह्न भी बनाये गये हैं। यह वर्णमाला अक्षर प्रधान है, ध्वनि प्रधान नहीं, क्योंकि सभी व्यंजन चिन्हों में अ की मात्रा होती है। यह अलग बात है कि संस्कृत ध्वनियों के वैज्ञानिक क्रम के आधार पर इसकी वर्णमाला बनायी गयी है। पूर्व के उच्चारण तथा आज के उच्चारण में कहीं-कहीं अन्तर आया है।

उच्चारण के दृष्टिकोण से यह वैज्ञानिक लिपि है परन्तु आकार की दृष्टि से आधुनिक काल में इसके लेखन में समस्याएं भी आती हैं, विशेषकर कम्प्यूटर तथा टाइपराइटर के माध्यम से लेखन में। अंकों के अलावा अन्य चिह्नों में परिवर्तन की कोशिशें जारी हैं।


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