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धर्मकथा

धर्मकथा अथवा धर्मगाथा मानव समाज की वे आद्यतम कथाएं हैं जो विविध प्राकृतिक दृश्यों से संगति बैठाते हुए निःसृत हुईं, तथा आगे चलकर परिष्कृत होती चली गयीं। ये वे कहानियां हैं जिनमें प्रकट अर्थ से भिन्न कोई अर्थ अभिहित होता है। ये प्रकृति तथा मानव के चिर सम्बंधों के धार्मिक एवं सामाजिक गतिविधियों के आन्तरिक रहस्यों से प्रभावित होकर उद्घाटित होते हैं।

धर्मकथाएं या गाथाएं संस्कृत तथा बौद्ध एवं जैन साहित्य में उपलब्ध हैं। यूरोप में ऐसी ही कथाओं को मिथ कहा जाता है।

धर्मकथाओं में तीन तत्व होते हैं। मूल तत्व प्राकृतिक सत्ता में होती है। उसका व्यक्तिपरक स्वरूप होता है, तथा कहानियों के रूप में ये नैतिक मान्यताओं और उपयोगिताओं से सम्बद्ध होकर प्रकट होती हैं।

धर्मकथाओं की गणना लोकसाहित्य में होती है।

Page last modified on Wednesday April 5, 2017 06:49:40 GMT-0000