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धर्मसम्प्रदाय

धर्मसम्प्रदाय भारत के पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड के छोटानागपुर से लेकर मध्यप्रदेश के रीवां तक फैला हुआ एस समुदाय था जो धर्मदेवता के पूजक थे। आज भी वीरभूम लेकर झारखंड से सटे उड़ीसा के कुछ इलाकों में इस सम्प्रदाय के लोग मिलते हैं, परन्तु उनका स्वपरूप वैष्णव .या शैव सम्प्रदाय के स्वरूप के समान ही हो गया लगता है। इस सम्प्रदाय के लोगों में अधिसंख्य किसान, डोम, बागदी, मछुवारे, बढ़ई तथा वैसे ही निम्न जातियों के लोग हुआ करते थे।

धर्मसम्प्रदाय की स्थापना 12वीं शताब्दी में रमाई पण्डित ने की थी। शून्य-पुराण इस सम्प्रदाय का एक प्रमुख ग्रन्थ है। धर्मदेवता का बाहन कच्छप है। इसी धर्म को ईश्वर माना गया। ईश्वर को पहले सगुण माना गया था परन्तु बाद में कबीरपंथ के संसर्ग में आने के बाद उसे निर्गुण या निरंजन माना गया। उसी निरंजन एवं माया के सहगमन से सम्पूर्ण सृष्टि की रचना मानी गयी।

Page last modified on Thursday April 6, 2017 04:14:39 GMT-0000