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धर्मिगत लक्षणा

जहां लक्षण का प्रयोजन रूप (व्यंग्यार्थ) लक्ष्यार्थ में हो, वहां धर्मिगत लक्षणा मानी जाती है।

उदाहरण - सहिहौं सब हौं राम मै, किमि सहिहैं सिय हार।
यहां कहा गया है कि राम जी की जो भी कठोरता है उसे भी मैं सहूंगा। यहां कठोरता का अतिशय रूप ही लक्ष्यार्थ है। ऐसा उपयोग धर्मिगत लक्षणा है।

Page last modified on Thursday April 6, 2017 04:25:39 GMT-0000