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धार्मिक ग्रंथों की पाठ विधि

धार्मिक ग्रंथों की पाठ विधि की सनातन परम्परा में इष्ट देव की षोडषोपचार पूजा करने के बाद किसी धार्मिक ग्रंथ का पाठ प्रारम्भ किया जाता है।

पाठ तीन तरह से किये जाते हैं - सृष्टिक्रम, संहारक्रम तथा स्थितिक्रम।

सृष्टिक्रम से पाठ वह पाठ है जिसमें शुरु से अन्त तक पढ़ा जाता है। यह सीधा पाठ है। ऐसा पाठ अधिकतर ब्रह्मचारी करते हैं।

संहारक्रम में अन्तिम से क्रमशः प्रारम्भ की ओर पाठ किया जाता है। यह उलटा पाठ है। ऐसा पाठ प्रायः सन्न्यासी करते हैं।

स्थितिक्रम में किसी बीच के उपयुक्त स्थान से अन्त तक तथा उसके बाद जिस स्थान से प्रारम्भ किया गया था वहां से उलटा प्रारम्भ तक पाठ किया जाता है। ऐसा पाठ प्रायः गृहस्थ करते हैं।

सम्पुट पाठ वह है जिसमें प्रत्येक श्लोक या काव्य के बाद किसी मंत्र विशेष का उच्चारण किया जाता है। सम्पुट मंत्र का दो बार उच्चारण करने को सम्पुटवल्ली पाठ कहा जाता है। पाठ बिना सम्पुट का भी किया जाता है।

Page last modified on Sunday July 13, 2014 16:26:07 GMT-0000