नज्म
नज्म का सामान्य अर्थ है कविता। उर्दू की कविताओं के सभी रूपों को नज्म कहा जाता है। नज्म बहुधा एक ही विषय पर लिखी गयी होती है।उर्दू में नज्म सोलहवीं शताब्दी से मिलते हैं। गोलकुण्डा के सुलतान मुहम्मद कुली कुतुबशाह (1580-1611) के दीवान में वसन्त, नौरोज, ईद, दीवाली आदि पर नज्में हैं। उत्तर भारत में 'नजीर' अकबरावादी का इसमें बड़ा योगदान रहा है।
नज्म का विशेष उभार उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम चरण में हुआ। सन् 1874 के बाद अंजुमन-ए-उर्दू की ओर से लाहौर में नियमित रूप से नज्मों के मुशायरे शुरु किये गये थे। उस समय तक तरह-तरह के विषयों पर नज्में लिखी जाने लगी थीं। बाद के दिनों में राजनीति, रोमांस, वर्गसंघर्ष आदि पर भी नज्में लिखी गयीं।
आज नज्म उर्दू काव्य की प्रमुख शाखा है। इन्हें तीन प्रमुख वर्गों में बांटा जाता है।
पहला, मानव-प्रेम के गीत गाने वाली नज्में।
दूसरा, देश में और समाज में होने वाले अत्याचारों पर लिखी गयी नज्में।
तीसरा, विभिन्न समस्याओं पर लिखी गयी नज्में।