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नवधा भक्ति

वैष्णव साहित्य में भक्ति के नौ प्रकार माने गये हैं जिन्हें नवधा भक्ति नाम दिया गया है। ये हैं - श्रवण (ईश्वर के बारे में सुनना), कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चना, वंदना, दास्यभाव, सख्यभाव, तथा आत्मनिवेदन।

नवधा भक्ति का वर्णन श्रीमद्भागवत में इस प्रकार किया गया है।

श्रवणं कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनम्।
अर्चनं वंदनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम्।।

अध्यात्म रामायण में भक्ति के नौ साधन बताये गये हैं जिन्हें कई बार नवधा भक्ति भी कहा जाता है। ये हैं - सत्संग, भगवत्कथालाप, गीतादि वाक्यों की व्याख्या, भगवत्वाक्यों की व्याख्या, गुरु की निष्कपट सेवा, पवित्र स्वभाव, मंत्रोपासना, भक्तों के प्रति श्रद्धा का भाव, एवं वैराग्य तथा तत्वविचार।

Page last modified on Thursday April 13, 2017 04:51:30 GMT-0000