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नव्य आदर्शवाद

नव्य आदर्शवाद आधुनिक साहित्य का एक आन्दोलन है जो पुराने आदर्शवाद, जिसकी स्थापना हीगेल और उनके अनुयायियों द्वारा की गयी थी, से अलग एक नये आदर्श का प्रतिपादन करता है। इसके अनुसार विचार ही चरम तत्व की परम सम्पूर्णता है, तथा व्यक्तिगत अनुभव उसकी तत्वरचना में केवल भागीदार होता है। विचार ही व्यक्तिगत अनुभव को सार्थक और बुद्धिग्राह्य बनाती है।

नव्य आदर्शवाद को अनेक नव्य हीगेलवाद भी कह देते हैं, परन्तु दोनों में अन्तर है। नव्य आदर्शवाद केवल विचार की प्रतिकृति के रूप में अनुभव को नहीं मानता, बल्कि व्यक्तिगत अनुभव को क्रियाशील तथा स्वतंत्र भागीदार के रूप में महत्व देता है। यह कहता है कि हीगेल द्वारा प्रतिपादित आदर्शवाद या चरम तत्व स्थिर है जिसके कारण वह इतिहास और परिवर्तन को स्पष्ट करने में असमर्थ है। नव्य आदर्शवाद के अनुसार वैयक्तिक विचार रचनात्मक है तथा चरम आदर्श का प्रतिबिम्ब मात्र नहीं है।

Page last modified on Friday May 23, 2025 16:50:30 GMT-0000