नाग नाग भारतीय दर्शन परम्परा में निरंजन का वाचक है। ब्रह्मांड में जो निरंजन है, अर्थात् जो ईश्वर है, पिंड में वही नाग है। नाग या नांग उन साधुओं को भी कहा जाता है जे नंगे रहते हैं।